10th History Short Question Chapter 4 Class 10 History Chapter 4 important questions in Hindi Class 10 History Chapter 4 Extra Questions and Answers in Hindi Important Questions of History Class 10 Chapter 4 Class 10 History Chapter 4 Important Questions PDF download Class 10 history Chapter 4 very short Questions and Answers
प्रश्न 1. सविनय अवज्ञा आंदोलन के क्या परिणाम हुए?
उत्तर—सविनय अवज्ञा आंदोलन के परिणाम
(i) इस आंदोलन ने राष्ट्रीय आंदोलन के सामाजिक आधार का विस्तार किया। इस आंदोलन में महिलाओं, मजदूर वर्ग, शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र के निर्धन व अशिक्षित लोगों की भागीदारी मिली। इस आंदोलन ने श्रमिक एवं कृषक आंदोलन को भी प्रभावित किया ।
(ii) इस आंदोलन में महिलाओं की भागीदारी विशेष महत्त्व रखती है, क्योंकि महिलाओं का प्रवेश सार्वजनिक जीवन में होने लगा। इस आंदोलन में पहली बार महिलाओं की भागीदारी वृहत् स्तर पर देखते हैं।
(iii) इस आंदोलन ने समाज के विभिन्न वर्गों का राजनीतिकरण किया ।
(iv) इस आंदोलन के अंतर्गत आर्थिक बहिष्कार ने ब्रिटिश आर्थिक हितों को प्रभावित किया, इसके कारण ब्रिटिश वस्त्रों के आयात में गिरावट आई तथा अन्य वस्तुओं के आयात भी प्रभावित हुए । इससे स्वदेशीकरण को
बढ़ावा मिला। इस आंदोलन में संगठन बनाने के नए तरीकों का इस्तेमाल हुआ जैसे-वानर सेना’ एवं ‘मंजरी सेना’ इत्यादि । ‘प्रभात फेरी’ का आयोजन कर तथा पत्र-पत्रिकाओं का इस्तेमाल करके भी लोगों को संगठित करने का एक नया तरीका अपनाया गया ।
(vi) इस आंदोलन का एक मुख्य परिणाम था ब्रिटिश सरकार द्वारा 1935 ई. में भारत शासन अधिनियम का पारित किया जाना ।
(vii) पहली बार ब्रिटिश सरकार ने काँग्रेस से समानता के आधार पर बातचीत की।
प्रश्न 2. प्रथम विश्वयुद्ध के किन्हीं दो कारणों का वर्णन करें। (2019A)
उत्तर-युद्ध के दो कारण थे-यूरोपीय शक्ति-संतुलन का बिगड़ना तथा साम्राज्यवादी प्रतिस्पर्धा। 1871 के बाद जर्मनी इंगलैंड और फ्रांस के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया। साम्राज्यवादी प्रतिस्पर्धा औद्योगिक क्रांति के परिणामस्वरूप उत्पन्न औपनिवेशिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए हुई।
प्रश्न 3. रॉलेट एक्ट क्या था? इसने राष्ट्रीय-आन्दोलन को कैसे प्रभावित (2018C)
उत्तर- भारत की क्रांतिकारी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए 1919 में यह ऐक्ट पारित किया गया। इसके अनुसार, संदेह के आधार पर ही किसी को गिरफ्तार कर, बिना मुकदमा चलाए दंडित किया जा सकता था। भारतीयों में इसकी तीखी प्रतिक्रिया हुई। इसे ‘काला ऐक्ट’ कहा गया। इसका घोर विरोध किया गया। इसी के विरोध के फलस्वरूप जालियाँवाला बाग हत्याकांड हुआ।
प्रश्न 4. असहयोग आंदोलन प्रथम जनांदोलन था; कैसे ?
उत्तर—सितम्बर, 1920 मे कलकत्ता में आयोजित विशेष अधिवेशन में असहयोग आंदोलन का निर्णय लिया गया। इसका नेतृत्व गाँधीजी ने किया। यह प्रथम जन-आंदोलन था। इस आंदोलन के मुख्यतः तीन कारण थे-खिलाफत का मुद्दा, पंजाब में सरकार की बर्बर कार्रवाइयों के विरुद्ध न्याय प्राप्त करना और अंततः स्वराज्य की प्राप्ति करना। इस आंदोलन में दो तरह के कार्यक्रमों को अपनाया गया एक प्रस्तावित कार्यक्रम तथा दूसरा रचनात्मक कार्यक्रम ।
असहयोग आंदोलन के प्रस्तावित कार्यक्रम इस प्रकार थे-
(i) सरकारी उपाधि एवं अवैतनिक सरकारी पदों को छोड़ दिया जाए ।
(ii) सरकारी तथा अर्द्धसरकारी उत्सवों का बहिष्कार किया जाए ।
(iii) स्थानीय संस्थाओं की सरकारी सदस्यता से इस्तीफा दिया जाए
(iv) सरकारी स्कूलों एवं लेजों का बहिष्कार, वकीलों द्वारा न्यायालय का बहिष्कार किया जाए तथा आपसी विवाद पंचायती अदालतों द्वारा निबटाया जाए।
(v) असैनिक श्रमिक व कर्मचारी वर्ग मेसोपोटामिया में जाकर नौकरी करने से इनकार करें तथा विदेशी सामानों का पूर्णत: बहिकार करें । असहयोग आन्दोलन के रचनात्मक कार्यक्रम के अंतर्गत शराब का बहिष्कार,
हिन्दू-मुस्लिम एकता एवं अहिंसा पर बल, छुआ-छूत से परहेज, स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग, हाथ से बुने खादी का प्रयोग, कड़े कानूनों के खिलाफ सविनय अवज्ञा करना,
कर नहीं देना, राष्ट्रीय विद्यालय एवं कॉलेजों की स्थापना करना शामिल था।
प्रश्न 5. बिहार के किसान आन्दोलन पर एक टिप्पणी लिखें।
उत्तर-1920 के दशक में किसानों ने अपने को वर्गीय संगठनों तथा राजनीतिक दलों के रूप में संगठित करना आरंभ कर दिया था। इसके पीछे किसानों के प्रति कांग्रेस की उदासीन नीति तथा साम्यवादी तथा अन्य वामपंथी दलों द्वारा किसानों में वर्गीय चेतना उत्पन्न करने के कारण किसान सभाओं का गठन हुआ, 1920 के आरंभिक दशक में बिहार, बंगाल, पंजाब तथा उत्तर प्रदेश में किसान सभाओं का गठन हुआ। बिहार में 1922-23 में मुंगेर में शाहमुहम्मद जबेर की अध्यक्षता में किसान सभा की स्थापना हुई । मार्च, 1928 को बिहटा (पटना) में स्वामी सहजानंद सरस्वती ने किसान सभा की औपचारिक स्थापना की । नवम्बर, 1929 में सोनपुर में स्वामी सहजानन्द की अध्यक्षता में प्रांतीय किसान सभा का गठन किया गया । श्रीकृष्ण सिंह इसके सचिव तथा यमुना कायर्थी, श्रीगुरुनानक श्री गुरुलाल एवं कैलाश लाल इसके प्रमंडलीय सचिव बने । 11 अप्रैल, 1936 ई० को अखिल भारतीय किसान सभा का गठन लखनऊ में हुआ। 1936 में बिहार में बकाश्त भूमि (स्वयं जोती हुई भूमि) के विरुद्ध आंदोलन शुरू हुआ, जिसे कांग्रेस ने 1937 के फैजपुर अधिवेशन में मुख्य माँग के रूप में जोड़ा ।
प्रश्न 6. चम्पारण सत्याग्रह के बारे में बताएँ?
उत्तर बिहार में निलहों द्वारा नील की खेती के लिए तीनकठिया व्यवस्था लागू की गई थी जिसके अनुसार प्रत्येक किसान को अपनी कुल भूमि के 3/20 हिस्से या
15 प्रतिशत भू-भाग पर नील की खेती करनी होती थी। इसी व्यवस्था के खिलाफ 1917 में सत्याग्रह शुरू हुआ । गाँधीजी के आगमन एवं उनके प्रयास के बाद किसानों
को राहत दी गई। गाँधीजी के प्रयास से चंपारण सत्याग्रह सफल हुआ।
प्रश्न 7. प्रथम विश्वयुद्ध के भारत पर हुए प्रभावों का वर्णन करें । [2016C]
उत्तर प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान अनेक महत्त्वपूर्ण घटनाएँ घटीं जिनका भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन पर व्यापक प्रभाव पड़ा।
(i) भारतीय नेताओं ने सरकार को युद्ध में स्वराज्य-प्राप्ति की आशा में सहयोग दिया, परंतु ऐसा हुआ नहीं। इससे राष्ट्रवादी गतिविधियाँ बढ़ीं ।
(ii) सरकार की आर्थिक नीतियों की व्यापक प्रतिक्रिया हुई।
(iii) सरकार को युद्ध में व्यस्त पाकर क्रांतिकारियों ने अपनी गतिविधियाँ बढ़ा दी।
(iv) भारतीयों में बढ़ते असंतोष को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने संवैधानिक सुधारों की घोषणा की।
(v) विश्वयुद्ध के दौरान भारतीय राष्ट्रवादी स्वराज्य-प्राप्ति और हिन्दू-मुस्लिम एकता बनाए रखने हेतु प्रयासशील थे। एनी बेसेंट और तिलक ने गृह शासन की माँग के लिए वातावरण तैयार किया ।
प्रश्न 8. भारत में राष्ट्रवाद के उदय के सामाजिक कारणों पर प्रकाश डालें ।
उत्तर-19वीं शताब्दी के धार्मिक एवं सामाजिक सुधार आंदोलनों ने राष्ट्रवाद उत्पन्न करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की। ब्रह्म समाज, आर्य समाज, रामकृष्ण मिशन तथा थियोसोफिकल सोसाइटी जैसी संस्थाओं ने हिन्दू धर्म में प्रचलित बुराइयों की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित किया। अंधविश्वास, धार्मिक कुरीतियाँ तथा सामाजिक कुप्रथाएँ, छुआछूत, बाल-विवाह, दहेज प्रथा एवं बालिका हत्या जैसी
समस्याओं के समाधान के लिए जनमत तैयार करने में इन संस्थाओं ने सराहनीय कार्य किया। परिणामस्वरूप, सुधार आंदोलनों ने राष्ट्रीयता की भावना जनमानस में कूट-कूटकर भर दी।
प्रश्न 9. साइमन कमीशन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर- 1919 के ‘भारत सरकार अधिनियम’ में यह व्यवस्था की गई थी कि दस वर्ष के बाद एक ऐसा आयोग नियुक्त किया जाएगा जो इस बात की जाँच करेगा कि इस अधिनियम में कौन-कौन-से परिवर्तन संभव हैं। अतः ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने समय से पूर्व सर जॉन साइमन के नेतृत्व में 8 नवम्बर, 1927 को साइमन कमीशन की स्थापना की। इसके सभी 7 सदस्य अंग्रेज थे। इस कमीशन का उद्देश्य सांविधानिक सुधार के प्रश्न पर विचार करना था। इस कमीशन में किसी भी भारतीय को शामिल नहीं किया गया जिसके कारण भारत में इस कमीशन का तीव्र विरोध हुआ। विरोध का एक और मुख्य कारण यह भी था कि भारत के स्वशासन के संबंध में निर्णय विदेशियों द्वारा किया जाना था। 3 फरवरी, 1928 को बम्बई पहुँचने पर कमीशन का स्वागत हड़तालों, प्रदर्शनों और काले झंडों से हुआ तथा
‘साइमन, वापस जाओ’ के नारे लगाये गये। साइमन कमीशन की नियुक्ति से भारतीय दलों में व्याप्त आपसी फूट एवं मतभेद की स्थिति से उबरने एवं राष्ट्रीय आंदोलन को उत्साहित करने में सहयोग मिला ।
प्रश्न 10. रॉलेट ऐक्ट क्या है ? इसका विरोध क्यों हुआ?
उत्तर भारत में क्रांतिकारियों के प्रभाव को समाप्त करने के लिए ब्रिटिश सरकार ने न्यायाधीश ‘सर सिडनी रॉलेट की अध्यक्षता में एक समिति नियुक्त की । समिति ने 1918 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की तथा समिति के सुझाव के आधार पर केन्द्रीय विधानमंडल में फरवरी, 1919 में दो विधेयक लाये गए । पारित होने के बाद इस विधेयक को ‘रॉलेट ऐक्ट’ के नाम से जाना गया। भारतीय नेताओं के विरोध
के बाद भी यह विधेयक 8 मार्च, 1919 को लागू कर दिया गया। इस कानून अंतर्गत एक विशेष न्यायालय का गठन किया गया जिसके निर्णय के विरुद्ध कोई अपील नहीं की जा सकती थी। इस नियम के अनुसार सरकार किसी भी व्यक्ति को संदेह के आधार पर गिरफ्तार करके उसपर मुकदमा चला सकती थी। उसे अनिश्चित काल के लिए जेल में रख सकती थी तथा उसे दण्डित कर सकती थी। इस ऐक्ट को ‘बिना अपील, बिना वकील तथा बिना दलील’ का भी कानून कहा गया। इसे ‘काला कानून’ एवं ‘आतंकवादी अपराध अधिनियम’ के नाम से भी जाना जाता है । गाँधीजी ने इस कानून को अनुचित, स्वतंत्रता का हनन करनेवाला तथा व्यक्ति के मूल अधिकारों की हत्या करनेवाला बताया। 6 अप्रैल, 1919 ई० को एक
देशव्यापी हड़ताल हुई। दिल्ली में इस आंदोलन का नेतृत्व स्वामी श्रद्धानंदजी ने सँभाली। यह आंदोलन हिंसात्मक हो गया जिसमें लोग गोली के शिकार हुए । गाँधीजी की गिरफ्तारी 8 अप्रैल, 1919 को ‘पलबल’ (हरियाणा) में हुई । इस विरोध की अंतिम परिणति 13 अप्रैल, 1919 को जालियाँवाला हत्याकांड के रूप में हुई। रॉलेट ऐक्ट कानून के विरोध ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को ‘राष्ट्रीय संस्था’ के रूप में स्थापित कर दिया।
प्रश्न 11. खिलाफत आन्दोलन का कारण बतावें।
उत्तर-तुर्की के सुल्तान को खलीफा कहा जाता था। यह इस्लामिक संसार का मालिक माना जाता था। प्रथम विश्व युद्ध में इंगलैण्ड के हाथों जब तुर्की की पराजय हुई तो तुर्की के सुल्तान को सत्ता से हटा दिया गया। भारतीय मुसलमानों ने इसी का विरोध किया। इसे खिलाफत आन्दोलन कहते हैं।
प्रश्न 12. मुस्लिम लीग के क्या उद्देश्य थे? [M.D., Set-II : 2015]
उत्तर-मुस्लिम लीग की स्थापना 30 दिसम्बर, 1906 को हुई। इसका उद्देश्य था मुस्लिम के हितों की रक्षा करना। इसकी नींव ढाका के नबाव सलीमुल्लाह खाँ ने रखी थी। इसका उद्देश्य मुसलमानों को सरकारी सेवा में उचित स्थान दिलाना एवं न्यायाधीश के पद पर मुसलमानों को जगह दिलाना। विधान परिषद् में अलग निर्वाचक मडल बनाना एवं काउन्सिल में उचित जगह पाना।
प्रश्न 13. रॉलेट ऐक्ट क्या था ? [2011C, TBQ]
उत्तर भारत में क्रांतिकारियों के बढ़ते प्रभाव को समाप्त करने के लिए रॉलेट ऐक्ट लाया गया । इसके अनुसार सरकार किसी भी भारतीय को गिरफ्तार कर उसपर
बिना मुकदमा चलाये बंदीगृह में रख सकता था। भारतीयों ने इस कानून का तीव्र विरोध किया।
प्रश्न 14. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना किन परिस्थितियों में हुई ? [2011A,TBQ]
उत्तर कालांतर में भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन क्षेत्रीय स्तरों पर प्रतिदिन बढ़ता गया, प्रारंभ में यह आन्दोलन शिक्षित मध्यम वर्ग तक रहा परन्तु आगे चलकर अनेक भारतीय वर्गों की सहानुभूति इसे प्राप्त होने लगी। इसी समय इंडियन एसोसिएशन द्वारा रेंट बिल का विरोध किया जा रहा था, साथ ही लार्ड लिटन द्वारा बनाए गए प्रेस अधिनियम और शस्त्र अधिनियम का भारतीयों द्वारा जबरदस्त विरोध किया जा रहा था, जिस कारण सरकार को प्रेस अधिनियम वापस लेना पड़ा था । यद्यपि अभी
कोई अखिल भारतीय राजनीतिक संगठन नहीं था, फिर भी यह विजय भारतीय राष्ट्रवादियों के लिए मार्ग-प्रशस्ति का काम किया। उन्हें लगने लगा कि संगठित होना अति आवश्यक है । लार्ड रिपन के काल में पास हुए इल्बर्ट बिल का यूरोपियनों द्वारा संगठित विरोध से प्राप्त विजय ने भारतीय राष्ट्रवादियों को संगठित होने का पर्याप्त कारण दे दिया ।
प्रश्न 15. दांडी यात्रा का क्या उद्देश्य था ?
उत्तर–दांडी यात्रा का उद्देश्य था कि समुद्र के पानी से नमक बनाकर नमक कानून का उल्लंघन करना तथा ब्रिटिश कानून के भय को भारतीय जनता के अंदर से निकालना था।
प्रश्न 16. मेरठ षड्यंत्र से आप क्या समझते हैं? [TBQ]
उत्तर-मार्च 1929 में सरकार ने 31 श्रमिक नेताओं (मजदूर आंदोलन) को बंदी बनाकर मेरठ लाया तथा उन पर मुकदमा चलाया गया। इनपर आरोप था कि ये सम्राट को भारत की प्रभुसत्ता से वंचित करने का प्रयास कर रहे थे। इन नेताओं में मुजफ्फर अहमद, एस. ए. डांगे, शौकत उस्मानी, फिलिप स्पाट तथा ब्रेन बेडली मुख्य थे।
प्रश्न 17. स्वराज्य पार्टी की स्थापना एवं उद्देश्य की विवेचना करें। [TBQ]
उत्तर- महात्मा गाँधी द्वारा अचानक असहयोग आंदोलन स्थगित कर दिए जाने से कांग्रेस के एक वर्ग में घोर निराशा और असंतोष फैल गया। देशबंधु चित्तरंजन दास और मोतीलाल नेहरू द्वारा सशक्त नीति के अपनाए जाने पर बल देने लगे । इनका विचार था कि कांग्रेस को एसेंबली के बहिष्कार की नीति त्याग देनी चाहिए, कौंसिलों में प्रवेश कर सरकारी नीतियों का विरोध करना चाहिए तथा सरकार विरोधी जनमत तैयार करना चाहिए । यही वर्ग कांग्रेस का परिवर्तनवादी दल’ कहा जाने लगा। 1922 में कांग्रेस के गया अधिवेशन में कौंसिल में प्रवेश के प्रश्न पर मतदान हुआ जिसमें ‘परिवर्तनवादी’ पराजित हुए। इसके बाद 1923 ई० में देशबंधु चित्तरंजन दास और मोतीलाल नेहरू ने इलाहाबाद में एक नवीन ‘स्वराज्य पार्टी’ की स्थापना की। स्वराज्य पार्टी का प्रथम सम्मेलन इलाहाबाद में 1923 में हुआ जिसमें देशबंधु चित्तरंजन दास इसके अध्यक्ष और मोतीलाल नेहरू इसके सचिव बने । इस दल ने कांग्रेस के अंदर रहकर अपनी अलग नीतियाँ चलाने का निश्चय किया।
स्वराजियों का भी उद्देश्य स्वराज्य की प्राप्ति ही था, लेकिन इसे प्राप्त करने का उनका तरीका अलग था। इसके सदस्य चाहते थे कि केन्द्रीय और प्रांतीय विधानसभाओं में प्रवेश कर वे सरकार पर दबाव डालें कि वह राष्ट्रीय मांगों को
एक निश्चित अवधि के अंदर पूरा करे। सरकार अगर ऐसा नहीं करती है तो विधानमंडलों के जरिए शासन करना असंभव कर दिया जाए। इसके सदस्यों ने सरकारी पद स्वीकार नहीं करने, नगरपालिका चुनावों में भाग नहीं लेने की प्रतिज्ञा की। साथ ही, इसने विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार और कांग्रेस के रचनात्मक कार्यों में सहयोग देने का भी निर्णय लिया ।
प्रश्न 18. जालियाँवाला बाग हत्याकांड का वर्णन संक्षेप में करें। [2019C]
उत्तर—रॉलेट ऐक्ट के विरोध में जनता पंजाब के अमृतसर स्थिति जालियाँवाला बाग में इकट्ठी हुई। 13 अप्रैल, 1919 को इन निहत्थे लोगों पर जनरल ओ० डायर ने अंधाधुंध गोलियाँ बरसा दी, जिससे हजारों लोग मारे गए। इससे सर्वत्र हाहाकार मच गया। विश्वभर में इस घटना की निंदा शुरू हो गई।
प्रश्न 19. राष्ट्रवाद का क्या अर्थ है ?
उत्तर- राष्ट्रवाद का शाब्दिक अर्थ है ‘राष्ट्रीय चेतना का उदय’ । ऐसी राष्ट्रीय चेतना का उदय जिसमें आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक एकीकरण महसूस हो सके।
प्रश्न 20. मोपला कौन थे?
उत्तर_केरल राज्य के दक्षिणी मालाबार तट पर बसे मुसलमान पट्टेदारों तथा खेतिहरों को मोपला कहा जाता था। ये अधिकांशतः छोटे किसान या छोटे व्यापारी थे। मोपला मुख्यतः हिन्दू नम्बूदरी एवं नायर भूस्वामियों के बटाईदार काश्तकार थे।
प्रश्न 21. स्थायी बंदोबस्त क्या है?
उत्तर_अंग्रेजों की कृषि नीति मुख्य रूप से अधिकतम लगान एकत्रित करने के उद्देश्य से बंगाल में स्थायी बंदोबस्त लागू किया । इसमें जमींदारों को एक निश्चित भू-राजस्व सरकार को देना पड़ता था तथा जमींदार किसानों से उससे अधिक लगान वसूल करते थे।
प्रश्न 22. जतरा भगत के बारे में आप क्या जानते हैं, संक्षेप में बताएँ ?
उत्तर_छोटानागपुर के उराँव आदिवासियों ने 1914 से 1920 तक अहिंसक आंदोलन चलाया जिसका नेतृत्व जतरा भगत ने किया था। इस आंदोलन में सामाजिक एवं शैक्षणिक सुधार पर विशेष बल दिया गया। इसमें एकेश्वरवाद पर बल तथा मांस-मदिरा एवं आदिवासी नृत्यों से दूर रहने की सलाह दी गई ।
प्रश्न 23. असहयोग आंदोलन क्यों वापस लिया गया ?
उत्तर-5 फरवरी, 1922 ई० को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के चौरी-चौरा में राजनीतिक जुलूस पर पुलिस द्वारा फायरिंग के विरोध में भीड़ ने थाना पर हमला कर दिया जिसमें 22 पुलिसकर्मियों की जान चली गई । अतः, आंदोलन के हिंसक हो जाने के कारण 12 फरवरी, 1922 को गाँधीजी ने आंदोलन वापस ले लिया ।
प्रश्न 24. सविनय अवज्ञा आंदोलन के कारणों को लिखें।
उत्तर_सविनय अवज्ञा आंदोलन के निम्नलिखित कारण थे-
साइमन कमीशन का बहिष्कार, नेहरू रिपोर्ट अस्वीकार किया जाना, 1929-30 की विश्वव्यापी आर्थिक मंदी, भारत में समाजवाद के बढ़ते प्रभाव, क्रांतिकारी आंदोलनों में उभार का आना, 1929 में काँग्रेस अधिवेशन द्वारा पूर्ण स्वराज्य की माँग तथा गाँधीजी की 11 सूत्री मांगों को इरविन ने मानने से इनकार कर दिया।
प्रश्न 25. खोंड विद्रोह का परिचय दें।
उत्तर- उड़ीसा की सामंतवादी रियासत के दसपल्ला में अक्टूबर 1914 में खोंड विद्रोह हुआ। यह विद्रोह उत्तराधिकार विवाद से आरंभ हुआ परन्तु शीघ्र ही इसने अलग रूप धारण कर लिया। खोंड विद्रोह का विस्तार पूर्वी घाट समूह की दुर्गम पर्वत शृंखलाओं कालाहांडी और बस्तर तक फैल गया। इसके विस्तार को रोकने के लिए ब्रिटिश शासन ने विद्रोह का दमन शुरू किया । खोंडों के गाँवों को
जलाकर नष्ट कर दिया गया ।
प्रश्न 26. बारदोली सत्याग्रह का कारण क्या था ? क्या यह सत्याग्रह सफल रहा?
उत्तर—गुजरात में स्थित बारदोली के किसानों ने सरकार द्वारा बदले गये कर के विरोध में बल्लभभाई पटेल के नेतृत्व में सत्याग्रह किया। पटेल ने किसानों के लगान में हुई 22% की करवृद्धि का विरोध किया तथा सरकार से मांग की कि
सरकार प्रस्तावित लगान में वृद्धि को वापस ले । सरदार पटेल ने इस आंदोलन को संगठित किया तथा ‘बारदोली’ पत्रिका के माध्यम से इसका प्रसार किया । कई बौद्धिक संगठन बनाये गए। आंदोलन का विरोध करने वालों का सामाजिक बहिष्कार किया जाने लगा। इस आंदोलन में महिलाओं की भी सक्रिय भागीदारी रही। आंदोलन के समर्थन में के. एम. मुंशी तथा लालजी नारंगी ने बम्बई विधान परिषद की सदस्यता से त्याग-पत्र दे दिया । अगस्त 1928 तक पूरे क्षेत्र में आंदोलन सक्रिय रूप से फैल चुका था। सरदार पटेल की गिरफ्तारी की आशंका को देखते
हुए गाँधीजी 2 अगस्त, 1928 को बारदोली पहुँचे । गाँधीजी के प्रभाव के कारण सरकार ने लगान में वृद्धि को गलत बताया और बढ़ोतरी 22 प्रतिशत से घटाकर 6.03 प्रतिशत कर दी । बारदोली सत्याग्रह के सफल होने के बाद वहाँ की महिलाओं ने सरदार बल्लभभाई पटेल को ‘सरदार’ की उपाधि प्रदान की।
प्रश्न 27. चम्पारण आंदोलन कब हुआ तथा इसके क्या कारण थे ?
उत्तर बिहार में निलहों द्वारा नील की खेती के लिए तीनकठिया व्यवस्था लागू की गई थी जिसके अनुसार प्रत्येक किसान को अपनी कुल भूमि के 3/20 हिस्से या
15 प्रतिशत भू-भाग पर नील की खेती करनी होती थी। इसी व्यवस्था के खिलाफ 1917 में सत्याग्रह शुरू हुआ । गाँधीजी के आगमन एवं उनके प्रयास के बाद किसानों
को राहत दी गई। गाँधीजी के प्रयास से चंपारण सत्याग्रह सफल हुआ।
प्रश्न 28. खिलाफत आन्दोलन क्यों हुआ?
उत्तर-तुर्की के सुल्तान को खलीफा कहा जाता था। यह इस्लामिक संसार का मालिक माना जाता था। प्रथम विश्व युद्ध में इंगलैण्ड के हाथों जब तुर्की की पराजय हुई तो तुर्की के सुल्तान को सत्ता से हटा दिया गया। भारतीय मुसलमानों ने इसी का विरोध किया। इसे खिलाफत आन्दोलन कहते हैं।
प्रश्न 29. साइमन कमीशन का गठन क्यों किया गया ? भारतीयों ने इसका विरोध क्यों किया?
उत्तर- 1919 के ‘भारत सरकार अधिनियम’ में यह व्यवस्था की गई थी कि दस वर्ष के बाद एक ऐसा आयोग नियुक्त किया जाएगा जो इस बात की जाँच करेगा कि इस अधिनियम में कौन-कौन-से परिवर्तन संभव हैं। अतः ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने समय से पूर्व सर जॉन साइमन के नेतृत्व में 8 नवम्बर, 1927 को साइमन कमीशन की स्थापना की। इसके सभी 7 सदस्य अंग्रेज थे। इस कमीशन का उद्देश्य सांविधानिक सुधार के प्रश्न पर विचार करना था। इस कमीशन में किसी भी भारतीय को शामिल नहीं किया गया जिसके कारण भारत में इस कमीशन का तीव्र विरोध हुआ। विरोध का एक और मुख्य कारण यह भी था कि भारत के स्वशासन के संबंध में निर्णय विदेशियों द्वारा किया जाना था। 3 फरवरी, 1928 को बम्बई पहुँचने पर कमीशन का स्वागत हड़तालों, प्रदर्शनों और काले झंडों से हुआ तथा
‘साइमन, वापस जाओ’ के नारे लगाये गये। साइमन कमीशन की नियुक्ति से भारतीय दलों में व्याप्त आपसी फूट एवं मतभेद की स्थिति से उबरने एवं राष्ट्रीय आंदोलन को उत्साहित करने में सहयोग मिला ।
No | संस्कृत गद्य खंड वस्तुनिष्ठ प्रश्न |
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5. | |
6. | स्वामीदयानन्द |
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8. |
No | हिंदी गद्य खंड वस्तुनिष्ठ प्रश्न |
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6. | |
7. | |
8. | |
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No | हिंदी काव्य खंड वस्तुनिष्ठ प्रश्न |
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8. | |
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N0 | English Prose Section Objective |
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N0 | English Poetry Section Objective |
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N0 | English Reader Section Objective |
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No | Biology Objective Question |
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12. |
No | Physics Objective Question |
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No | Chemistry Objective Question |
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No | Geography Objective Question |
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No | Civics Objective Question |
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