10th civics Subjective (Short) Question Chapter 2 (नागरिकशास्र)

10th civics Subjective (Short) Question Chapter 2 (नागरिकशास्र)

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प्रश्न 1. सत्ता की साझेदारी लोकतंत्र में क्या महत्त्व रखती है?

उत्तर सत्ता की साझेदारी ही लोकतंत्र का मूलमंत्र है । लोकतंत्र में जनता ही सारी शक्तियों का स्रोत एवं उपभोग करनेवाली होती है। लोकतंत्र में समाज के विभिन्न समूहों एवं विचारों को उचित सम्मान दिया जाता है । लोकतंत्र में ही विभिन्न सामाजिक समूहों के हितों एवं जरूरतों का सम्मान कर उनके बीच मतभेद तथा टकरावों को दूर किया जाता है तथा देश प्रगति के पथ पर सदा अग्रसर रहता है ।

प्रश्न 2. समवर्ती सूची से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर हमारे संविधान की सातवीं अनुसूची में केन्द्र व राज्यों के मध्य शक्तियों का विभाजन किया गया है । समवर्ती सूची में उन मामलों को शामिल किया गया है जिन पर कानून बनाने का अधिकार केन्द्र व राज्यों दोनों को प्राप्त है

प्रश्न 3. संघीय शासन की कोई दो विशेषताएँ बताएँ ।

उत्तर-संघीय शासन व्यवस्था के दो विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
(i) संघीय शासन-व्यवस्था के सर्वोच्च सत्ता केन्द्र सरकार और उसकी विभिन्न आनुसंगिक इकाइयों के बीच बँट जाती है ।
(ii) संघीय व्यवस्था में दोहरी सरकार होती है। एक केन्द्रीय स्तर की सरकार तथा दूसरी-प्रांतीय या क्षेत्रीय सरकार ।

प्रश्न 4. पंचायती राज से आप क्या समझते हैं?

उत्तर—आज का युग लोकतंत्र का युग हैं लोकतंत्र में शासन के विकेंद्रीकरण पर विशेष बल दिया जाता है। भारतीय प्रशासन में भी विकेंद्रीकण के सिद्धांत को अपनाए जाने की आवश्यकता प्रतीत हुई। इस सिद्धांत को कार्यरूप देने के उद्देश्य से भारत की संघ सरकार ने बलवंतराय मेहता समिति का गठन किया। इस समिति ने यह सिफारिश की कि भारत में पचायती राज की स्थापना की जाए। इसके अनुसार ग्राम, प्रखंड एवं जिला स्तर पर स्थानीय संस्थाओं का गठन किया जाए।

प्रश्न 5. सत्ता की साझेदारी के अलग-अलग तरीके क्या हैं?

उत्तर-लोकतंत्र में सरकार की सारी शक्ति किसी एक अंग में सीमित नहीं रहती है, बल्कि सरकार के विभिन्न अंगों के बीच सत्ता का बँटवारा होता है। यह बँटवारा सरकार के एक ही स्तर पर होता है। उदाहरण के लिए, सरकार के तीनों अंगों विधायिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका के बीच सत्ता का बँटवारा होता है और ये सभी अंग एक ही स्तर पर अपनी-अपनी शक्तियों का प्रयोग करके सत्ता में साझेदार बनते हैं। सरकार के एक स्तर पर सत्ता के ऐसे बँटवारे को हम सत्ता का क्षैतिज वितरण कहते हैं । सत्ता में साझेदारी की दूसरी कार्य-प्रणाली में सरकार के विभिन्न स्तरों पर सत्ता का बँटवारा होता है । सत्ता के ऐसे बँटवारे को हम सत्ता का ऊर्ध्वाधार वितरण कहते हैं।

प्रश्न 6. ग्राम रक्षा दल से क्या समझते हैं?

उत्तर ग्राम पंचायत ग्रामीण क्षेत्रों की स्वायत्त संस्थाओं में सबसे नीचे का स्तर है, लेकिन इसका स्थान सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। ग्राम पंचायतों के प्रमुख अंग में एक अंग ग्राम रक्षा दल भी है। यह गाँव की पुलिस व्यवस्था है जो 18-30 वर्ष के आयु वाले युवक शामिल हो सकते हैं। सुरक्षा दल का एक नेता भी होता है जिसे दलपति कहते हैं। इसके ऊपर गाँव की रक्षा और शांति का उत्तरदायित्व होता है।

प्रश्न 7. संघ राज्य का अर्थ बताएँ।

उत्तर—जब सत्ता का विभाजन क्षेत्राधीन स्वायत्तता; केन्द्रीय राज्य या क्षेत्रीय स्तर एवं स्थानीय सरकारों के बीच वितरित कर दी जाती है तो संघीय राज्य कहलाती है किन्तु सर्वोच्च सत्ता केन्द्र के पास होती है।

प्रश्न 8. वार्ड पार्षद के क्या कार्य हैं ? [2016C]

उत्तर-वाई-पार्षद के निम्न कार्य हैं-
(i) अपने वार्ड में सफाई की व्यवस्था करना ।
(ii) अपने वार्ड में सड़क, नाली तथा गली बनवाना ।
(ii) जलापूर्ति एवं रौशनी की व्यवस्था करना ।

प्रश्न 9. ग्राम पंचायतों के प्रमुख अंग कौन-कौन हैं ?

उत्सर-ग्राम पंचायतों के प्रमुख अंग इस प्रकार अग्रलिखित हैं
(i) ग्राम सभा (ii) कार्यकारिणी समिति (iii) पंचायत सेवक
(iv) ग्राम रक्षा दल (v) ग्राम कचहरी।

प्रश्न 10. लोकतंत्र में सत्ता में साझेदारी का क्या अर्थ है ?

उत्तर लोकतंत्र में सत्ता में साझेदारी का अर्थ है कि राजनीतिक प्रक्रिया में नागरिक अधिकाधिक भागीदारी करें। लोकतंत्र में चुनाव, रैली, मतदान आदि माध्यमों द्वारा जनता राजनीतिक सत्ता में भागीदारी करती है। लोकतंत्र में सत्ता में जनता के विभिन्न वर्गों की जितनी अधिक साझेदारी होगी, लोकतंत्र उतना ही मजबूत व सुदृढ़ होगा। सत्ता में साझेदारी हेतु राजनीतिक जागरुकता अनिवार्य है।

प्रश्न 11. ग्राम कचहरी के गठन एवं शक्ति का वर्णन करें।

उत्तर प्रत्येक ग्राम पंचायत क्षेत्र में न्यायिक कार्यों को संपन्न करने के लिए एक ग्राम कचहरी का गठन किया जाता है। बिहार में पंचायत राज अधिनियम, 2006 के अनुसार ग्राम कचहरी का गठन निर्वाचन द्वारा किया जाता है जिसमें एक निर्वाचित सरपंच और निश्चित संख्या में निर्वाचित पंच होते हैं। प्रत्येक पंच लगभग 500 आबादी का प्रतिनिधित्व करता है। ग्राम कचहरी में भी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ों तथा महिलाओं के लिए ग्राम पंचायत जैसा ही आरक्षण का प्रावधान है। ग्राम कचहरी का प्रधान सरपंच होता है। निर्वाचन के बाद प्रत्येक ग्राम कचहरी अपनी पहली बैठक में निर्वाचित पंचों में से बहुमत द्वारा एक उपसरपंच का चुनाव करती है। ग्राम कचहरी का एक सचिव होता है जिसे न्यायमित्र के नाम से जाना जाता है। इसकी नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा की जाती है। ग्राम कचहरी को भारतीय दंडसंहिता की अनेक धाराओं से संबंधित मुकदमों की सुनवाई करने का अधिकार है। यह दीवानी और फौजदारी दोनों प्रकार के मुकदमों की सुनवाई करती है। ग्राम कचहरी को दस हजार रुपये तक के दीवानी मुकदमें सुनने का अधिकार प्राप्त है। ग्राम कचहरी की न्यायपीठ किसी अपराधी को एक हजार रुपये से अधिक जुर्माना नहीं कर सकती है।

प्रश्न 12. नगर परिषद के प्रमुख कार्यों का वर्णन करें। [2015C]

उत्तर-नगर परिषद के 11 अनिवार्य एवं 6 ऐच्छिक कार्य हैं-
अनिवार्य कार्य-
(i) नगर की सफाई, (ii) रोशनी का प्रबन्ध,
(iii) पीने के पानी की व्यवस्था, (iv) सड़क निर्माण एवं मरम्मत, (v) नालियों की सफाई, (vi) प्राथमिक विद्यालयों की स्थापना, (vii) महामारी से बचाव एवं टीका लगवाने का प्रबन्ध, (viii) अस्पताल खोलना, (ix) आग से सुरक्षा,
श्मशान घाट का प्रबंध और (xi) जन्म-मृत्यु का निबंधन।
ऐच्छिक कार्य-
(1) सड़क निर्माण,
(ii) गली-गली नाली निर्माण,
(iii) बसने योग्य भूमि का निर्माण, (iv) गरीबों के लिए गृह-निर्माण, (v) बिजली का प्रबंध करना एवं
(vi) प्रदर्शनी लगाना।

प्रश्न 13. नगर-निगम की आय के प्रमुख साधनों को बताइए। [2015A,2012C]

उत्तर–नगर निगम अपने कार्यों के संचालन हेतु कई प्रकार से आय अर्जित करता है। नगर निगम कई प्रकार के कर लगाता है। विभिन्न प्रकार के करों में-मकान कर, नल कर, शौचालय कर, पशुओं पर कर, छोटे वाहनों पर कर, ठेला, रिक्शा आदि सभी कर प्रमुख हैं।
इन करों से प्राप्त आय की राशि इतनी कम होती है कि नगर निगम का कार्य इससे नहीं चल पाता, जिसके चलते राज्य सरकार समय-समय पर आर्थिक अनुदान
देकर निगम के वार्षिक बजट की क्षतिपूर्ति करती है। नगर निगम विभिन्न प्रकार के नीलामी के माध्यम से भी आय अर्जित करता है।

प्रश्न 14. राजनीतिक दल किस तरह सत्ता में साक्षेदारी करते हैं ? [M.Q., Set-IV : 2015]
अथवा, राजनीतिक दलों की लोकतंत्र में क्या भूमिका होती है ?

उत्तर–राजनीतिक दल लोगों के ऐसे संगठित समूह हैं जो चुनाव लड़ने और राजनैतिक सत्ता हासिल करने के उद्देश्य से काम करता है। अतः विभिन्न राजनैतिक दल सत्ता प्राप्त करने के लिए प्रतिस्पर्धा के रूप में काम करते हैं। उनकी आपसी प्रतिद्वन्दिता यह निश्चित करती है कि सत्ता हमेशा किसी एक व्यक्ति या संगठित व्यक्ति समूह के हाथ में न रहे । अगर हम राजनैतिक दलों के इतिहास पर गौर करें तो पता चलता है कि सत्ता बारी-बारी से अलग-अलग विचारधाराओं और समूहों वाले राजनीतिक दलों के हाथ में आती-जाती रहती है।

प्रश्न 15. जिला परिषद तीन कार्य लिखें।

उत्तर-जिला परिषद् के तीन कार्य निम्नलिखित है।
(i) पंचायत समिति एवं ग्राम पंचायत के बीच संबंध स्थापित करना।
(ii) विभिन्न पंचायत समितियों द्वारा तैयार की गई योजनाओं को संतुलित करना।
(iii) शिक्षण संस्थाओं की स्थापना तथा उनका विकास करना।

प्रश्न 16. सत्ता के विकेन्द्रीकरण का क्या अर्थ है ?

उत्तर सत्ता के विकेन्द्रीकरण का तात्पर्य सत्ता को एक स्थान पर केन्द्रित न कर उसका विभिन्न स्तरों पर विभाजित किया जाना है। भारत में केन्द्र व राज्यों के मध्य शक्ति विभाजन इसका उदाहरण है।

प्रश्न 17. भारत में संघवाद का विकास कैसे हुआ?

उत्तर स्वाधीनता आंदोलन के दौरान राष्ट्रीय संघर्ष का नेतृत्व करने वाली काँग्रेस पार्टी शुरू से ही संघीय व्यवस्था का समर्थक रही। उसका अपना संगठनात्मक ढाँचा भी इसी आधार पर बना। 1946 में गठित संविधान सभा का
आधार भी संघवाद था क्योंकि इसमें प्रांतों के प्रतिनिधि वहाँ की विधान सभा द्वारा सांप्रदायिक निर्वाचन प्रणाली के द्वारा चुने गए थे और देशी रियासतों के अधिकतर प्रतिनिधि को उनके शासकों ने नामजद किया था ।

प्रश्न 18. पंचायती राज प्रणाली क्या है ? ग्राम पंचायत को और अधिक उपयोगी बनाने के लिए आपके क्या सुझाव हो सकते हैं ? 

उत्तर—पंचायती राज प्रणाली ग्रामीण क्षेत्रों के लिए त्रिस्तरीय स्थानीय संस्थाओं का नाम है। जैसे ग्रामीण स्तर पर ग्राम पंचायत, प्रखण्ड स्तर पर पंचायत समिति तथा जिला स्तर पर जिला परिषद । इसे सत्ता विकेन्द्रीकरण का प्रयास भी कहा जाता है।

प्रश्न 19. सत्ता में साझीदारी करने में गठबंधन की राजनीति की भूमिका बताएँ।

उत्तर–सत्ता में साझेदारी का प्रत्यक्ष रूप तब दिखता है जब दो या दो से अधिक पार्टियाँ मिलकर चुनाव लड़ती हैं या सरकार का गठन करती हैं। इसलिए सत्ता की साझेदारी का सबसे अद्यतन रूप गठबंधन की राजनीति या गठबंधन की
सरकारों में दिखता है, जब विभिन्न विचारधाराओं, विभिन्न सामाजिक समूहों और विभिन्न क्षेत्रीय और स्थानीय हितों वाले राजनीतिक दल एक साथ एक समय में सरकार के एक स्तर पर सत्ता में साझेदारी करते हैं।

प्रश्न 20.सत्ता की साझेदारी का सबसे आदतन रूप क्या है

उत्तर सत्ता की साझेदारी का सबसे अद्यतन रूप गठबंधन की राजनीति या गठबंधन की सरकारों में दिखता है।

प्रश्न 21. सोवियत संघ के विघटन का प्रमुख कारण क्या था ?

उत्तर-सोवियत संघ के विघटन का मुख्य कारण वहाँ की शक्तियों का जमाव एवं अत्यधिक केन्द्रीकरण की प्रवृत्तियाँ थीं।

प्रश्न, 22. गैर-लोकतांत्रिक व्यवस्था में सत्ता की साझेदारी की जरूरत क्यों नहीं पड़ती है?

उत्तर-गैर-लोकतांत्रिक सरकारें जैसे राजशाही, तानाशाही या एकदलीय शासन व्यवस्था होती है, इसलिए वहाँ सत्ता की साझेदारी की जरूरत नहीं पड़ती है ।

प्रश्न 23. संघीय शासन व्यवस्था में लका की मिका बताएँ?

उत्तर-संघीय व्यवस्था में एक स्वतंत्र न्यायपालिका होती है जो केन्द्र और राज्य सरकारों के बीच अधिकारों और शक्ति के बँटवारे के संबंध में उठने वाले कानूनी विवादों को हल करता है ।

प्रश्न 24. स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद श्रीलंका की राष्ट्रीय भाषा किसे घोषित किया गया?

उत्तर स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद सिंहली भाषा को श्रीलंका का राष्ट्रीय भाषा घोषित किया गया ।

प्रश्न 25. लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था कैसी व्यवस्था है?

उत्तर- लोकतांत्रिक शासन-व्यवस्था एक मात्र ऐसी शासन-व्यवस्था है जिसमें ताकत सभी के हाथों में होती है, सभी को राजनैतिक शक्तियों में हिस्सेदारी या साझेदारी करने की व्यवस्था की जाती है।

प्रश्न 26. श्रीलंका में गृहयुद्ध का कारण क्या था?

उत्तर- श्रीलंका में सत्ताधरी सिंहली समुदाय के लोगों ने तमिल समुदाय के हितों की निरन्तर उपेक्षा की जिससे तमिलों और सिंहलियों के बीच के टकराव ने भीषण
गृहयुद्ध का रूप ले लिया।

27. लोकतंत्र में हित समूह कैसे सत्ता में भागीदारी करते हैं

उत्तर- लोकतंत्र में व्यापारी, उद्योगपति, किसान, शिक्षक, औद्योगिक मजदूर जैसे संगठित हित समूह सरकार की विभिन्न समितियों में प्रतिनिधि बनकर सत्ता में भागीदारी करते हैं।

प्रश्न 28. क्या विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच सत्ता का विभाजन उचित है?

उत्तर- हाँ, विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच सत्ता का विभाजन उचित है, क्योंकि इसमें विभिन्न सामाजिक समूहों को अभिव्यक्ति एवं पहचान मिलती है ।

प्रश्न 29. राष्ट्रीय स्तर पर पंचायती राज्य प्रणाली की विधिवत् शुरूआत कब और कहाँ से हुई?

उत्तर- राष्ट्रीय स्तर पर पंचायती राज्य प्रणाली की विधिवत शुरूआत बलवंत राय मेहता समिति की अनुशंसाओं पर 2 अक्टूबर, 1959 को राजस्थान के नागौर जिले से हुई।

प्रश्न 30. समवर्ती सूची पर कानून बनाने की शक्ति किसे प्राप्त है ?

उत्तर—समवर्ती सूची पर केन्द्र एवं राज्य सरकार दोनों ही कानून बना सकती है, लेकिन जब दोनों के द्वारा बनाए गए कानून में टकराव हो तब केन्द्र द्वारा बनाया गया कानून ही मान्य होगा।

प्रश्न 31. संघीय शासन व्यवस्था के दो उद्देश्य बताएँ?

उत्तर-संघीय शासन व्यवस्था के दो उद्देश्य इस प्रकार हैं-
क्षेत्रीय एवं अन्य विविधताओं का आदर करना तथा
(ii) राष्ट्रीय एकता एवं अखंडता की रक्षा करना एवं उसे बढ़ावा देना ।

प्रश्न 32. स्थानीय स्वशासन का क्या अर्थ है ? इसके विभिन्न प्रकारों का उदाहरण सहित वर्णन करें।

उत्तर-जब किसी स्थानीय क्षेत्र का शासन वहाँ के निवासियों द्वारा ही किया जाता है तब उसे स्थानीय स्वशासन कहते हैं। स्थानीय स्वशासन दो प्रकार के होते हैं शहरी क्षेत्र का एवं ग्रामीण क्षेत्र का। नगर पंचायत, नगर परिषद् एवं नगर निगम शहरी क्षेत्र की संस्थाओं के तथा ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद् ग्रामीण क्षेत्र की संस्थाओं के उदाहरण हैं।

प्रश्न 33. सत्ता में साझेदारी का लोकतंत्र में क्या महत्त्व है ?

उत्तर-लोकतंत्र में सत्ता में साझेदारी का बहुत महत्त्व होता न
है। लोकतंत्र जनता का शासन होता है। जनता अपने प्रतिनिधियों द्वारा शासन में अपनी साझेदारी सुनिश्चित करती है। सत्ता में साझेदारी से विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच टकराव की संभावना समाप्त हो जाती है। समाज के सभी लोगों के शासन-व्यवस्था से जुड़े रहने के कारण शासन की कार्यकुशलता बढ़ती है।

प्रश्न 34. पंचायत समिति के कार्यों का वर्णन करें?

उत्तर- पंचायत समिति सभी ग्राम पंचायतों की वार्षिक योजनाओं पर विचार-विमर्श करती है तथा समेकित योजना को जिला परिषद में प्रस्तुत करती है। यह ऐसे कार्यकलापों का संपादन एवं निष्पादन करती है जो राज्य सरकार या जिला परिषद इसे सौंपती है । इसके अतिरिक्त सामुदायिक विकास कार्य एवं प्राकृतिक आपदा के‌ समय राहत का प्रबंध करना भी इसकी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। पंचायत समिति अपना अधिकांश कार्य स्थायी समितियों द्वारा करती है।

प्रश्न 35. 1993 के संविधान संशोधन के पहले और बाद के स्थानीय स्वशासन में दो महत्त्वपूर्ण अंतर बताएँ।

उत्तर–दी महत्त्वपूर्ण अंतरं है

(i) 1993 के 73वें एवं 74वें संशोधन के पूर्व स्थानीय स्वशासन को संविधानिक मान्यता प्राप्त नहीं थी, परंतु संशोधन के बाद इसे सांविधानिक मान्यता प्राप्त हो गई है।
(ii) संशोधन के पूर्व स्थानीय स्वशासन की संस्थओं में महिलाओं को आरक्षण प्राप्त नहीं था, संशोधन के बाद उन्हें आरक्षण प्राप्त हो गया है। इसका मुख्य उद्देश्य जनता में लोकतांत्रिक चेतना जागृत करना तथा उन्हें अपने अधिकार और कर्तव्य के प्रति सजग रखना है। यह ग्रामीण विकास का सर्वोत्तम कारगर हथियार है। बशर्ते जनता अपना प्रतिनिधि चुनने में निष्पक्ष हों तथा प्रतिनिधि अपने कर्तव्य के प्रति ईमानदार हों।

प्रश्न 36. संघीय शासन व्यवस्था की विशेषताओं का उल्लेख करें।

सार संघीय शासन व्यवस्था की निम्नलिखित विशेषताएँ. हैं-
(i) संघीय शासन व्यवस्था में सर्वोच्च सत्ता केन्द्र सरकार और उसकी विभिन्न आनुसंगिक इकाइयों के बीच बँट जाती है।
(ii) संघीय व्यवस्था में दोहरी सरकार होती है-एक केन्द्रीय स्तर की सरकार जिसके अधिकार क्षेत्र में राष्ट्रीय महत्व के विषय होते हैं, दूसरे स्तर पर‌ प्रांतीय या क्षेत्रीय सरकारें होती हैं जिनके अधिकार क्षेत्र स्थानीय महत्व के विषय होते हैं।
(iii) प्रत्येक स्तर की सरकार अपने क्षेत्र में स्वायत्त होती है और अपने-अपने कार्यों के लिए लोगों के प्रति जवाबदेह या उत्तरदायी होती है।
(iv) अलग-अलग स्तर की सरकार एक ही नागरिक समूह पर शासन करती है ।

प्रश्न 37. संघीय व्यवस्था का गठन कैसे होता है?

उत्तर संघीय व्यवस्था आमतौर पर दो तरीकों से गठित होती है। कई बार स्वतंत्र और संप्रभु राज्य आपस में मिलकर सामान्य संप्रभुता स्वीकार कर एक संघीय राज्य का गठन करते हैं। आमतौर पर इस तरह से गठित संघीय व्यवस्था में राज्यों की स्वायत्तता या पहचान की भावना प्रबल होती है, अत: संघ में शामिल होने वाले राज्यों के अधिकार समान होते हैं। वे केन्द्र सरकार की अपेक्षा अधिक शक्तिशाली होते हैं क्योंकि इस तरह से गठित संघीय व्यवस्था में आमतौर पर अवशिष्ट अधिकार राज्यों के हिस्से में आते हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका, स्विटजरलैंड, आस्ट्रेलिया इस
तरह से गठित संघीय राज्य के उदाहरण हैं। इसके विपरीत जब किसी बड़े देश को अनेक राजनैतिक इकाइयों में बाँटकर वहाँ स्थानीय या प्रांतीय सरकार और केन्द्र में अन्य सरकार की व्यवस्था की जाती है तब भी संघीय सरकार की स्थापना होती है। राज्यों और राष्ट्रीय सरकारों के बीच सत्ता का बँटवारा किया जाता है। भारत, बेल्जियम और स्पेन में संघीय शासन व्यवस्था की स्थापना इसी तरह से की गई है। इस तरह से गठित संघीय व्यवस्था
में राज्यों की अपेक्षा केन्द्र सरकार ज्यादा शक्तिशाली होती है।

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