10th Hindi Subjective (Short) Question Chapter 9 Class (क्लास) 10 हिन्दी सब्जेक्टिव क्वेशन चैप्टर 9 कक्षा 10 हिन्दी सब्जेक्टिव अध्याय 9 Matric (मैट्रिक) Subjective Hindi
1. हर बरस आविन्यों में कब और कैसा समारोह हुआ करता है?
उत्तर-आविन्यों, दक्षिण फ्रांस में रोन नदी के किनारे बसा एक पुराना शहर है, जहाँ कभी कुछ समय के लिए पोप की राजधानी थी। आविन्यों में हर वर्ष गर्मियों में फ्रांस और यूरोप का एक अत्यन्त प्रसिद्ध और लोकप्रिय रंग समारोह आयोजित किया जाता है। इस समारोह में नाट्य-प्रस्तुति के साथ गायन आदि अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है।
2. आविन्यों क्या है और वह कहाँ अवस्थित है?
उत्तर-आविन्यों, दक्षिण फ्रांस में रोन नदी के किनारे बसा एक पुराना शहर है। यहाँ कभी कुछ समय के लिए पोप की राजधानी थी और अब गर्मियों में फ्रांस और यूरोप का एक अत्यंत प्रसिद्ध लोकप्रिय रंग समारोह हर बरस होता है।
3. आविन्यों के बारे में प्रकाश डालें।
उत्तर- आविन्यों रोन नदी पर अवस्थित कला केन्द्र है। इसका स्वतंत्र नाम है—वीलनव्व आविन्यों अर्थात् आविन्यों का नया गाँव। दरअसल वहाँ फ्रेंच शासकों ने पोप की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए किला बनाया था। चौदहवीं शताब्दी में फ्रेंच क्रांति तक उसका धार्मिक उपयोग होता रहा।
4. आविन्यों किसलिए प्रसिद्ध है? पिकासो की विख्यात कृति का
शीर्षक क्या है?
उत्तर–दक्षिण फ्रांस में रोन नदी के किनारे बसा आविन्यों एक महत्त्वपूर्ण काव्य केन्द्र है। पिकासो की विख्यात कृति का शीर्षक है—’लमादामोजेल द आविन्यों’।
5. ला शत्रूज क्या है और वह कहाँ अवस्थित है? आजकल उसका क्या उपयोग होता है?
उत्तर- ला फ्रेंच शासकों द्वारा निर्मित एक ईसाई मठ का नाम है ला शत्रूज। यह रोन नदी की दूसरी ओर वीलनव्व आविन्यों अर्थात् आविन्यों का नया गाँव या कहना चाहिए नई बस्ती में अवस्थित है। यह केन्द्र इन दिनों रंगमंच और लेखन से जुड़ा हुआ है। रंगकर्मी, रंगसंगीतकार, अभिनेता, नाटककार आदि वहाँ आते हैं और पुराने ईसाई संतों के चैम्बर्स में कुछ अवधि के लिए रहकर सारा समय अपना रचनात्मक कार्य में बिताते हैं। यह बेहद शांत और नीरव स्थान है। पचासों सैलानी यह देखने आते हैं।
6. लेखक किसके प्रति कृतज्ञ हैं? उसकी गहरी पीड़ा का क्या कारण है?
उत्तर-लेखक शत्रूज मठ के प्रति कृतज्ञ हैं कि वहाँ उन्नीस दिन रह कर उन्होंने उस शांत और मोहक वातावरण में पैंतीस कविताएँ और सत्ताईस गद्य रचनाएँ लिखी। लेखक के मन में गहरी पीड़ा का कारण उनके सान्निध्य से वंचित होना था।
7. नदी के तट पर लेखक को किसकी याद आती है और क्यों?
उत्तर-नदी के पास नदी होकर लेखक को दूसरे कवि विनोद कुमार शुक्ल की एक कविता याद आती है। कविता का शीर्षक है-‘नदी-चेहरा लोगों से मिलने जाने की बात कहते है। शायद सिर्फ नदी किनारे रहनेवाले ही नदी-चेहरा नहीं हो जाते, हम जो कभी-कभार और थोड़ी देर के लिए नदी किनारे जो बैठ पाते हैं, हम भी कुछ देर के लिए ही सही, नदी-चेहरा हो जाते हैं। नदी के तट पर ‘नदी-चेहरा’ शीर्षक कविता लेखक को भी नदी-चेहरा बना रही थी इसलिए याद आती है। और नदी भी तो कविता के समान है।
8. ला शत्रुज के निदेशक को किस बात का अचरज हुआ?
उत्तर-ला शत्रुज के निदेशक को इस बात का अचरज हुआ था कि अल्पावधि में ही पुस्तक में विपुल सामग्री थी।
9. नदी के तट पर बैठे हुए लेखक को क्या अनुभव होता है?
उत्तर—रोन नदी के किनारे कुछ देर लेखक बैठा था। जलप्रवाह को एक-टक देखते रहने पर उसे लगता था कि जल स्थिर है और तट ही बह रहा है। नदी के तट पर बैठना भी नदी के साथ बहना है। कई बार नदी स्थिर होती है, हम तट पर बैठे रहते हैं। नदी के पास होना नदी होना है।
10. ‘प्रतीक्षा करते हैं पत्थर’ कविता से आप क्या सीखते हैं?
उत्तर ‘प्रतीक्षा करते हैं पत्थर’ पाठकों में धीरज का पाठ पढ़ाती है। मनुष्य को प्रत्येक स्थिति में स्थिर, धैर्यशील और शांत रहना चाहिए। प्राचीनता को हमें बनाए रखना चाहिए। अपना विश्वास हमें हर परिस्थिति में कायम रखना चाहिए। अपने स्वप्न को हमें बुनते रहना चाहिए। अपनी कल्पनाओं को हमें आकार देना चाहिए। यह कविता अंततः धीरज बनाए रखने का निवेदन हमसे करती है। धीरज से ही मनुष्य संसार झेल लेता है और अधैर्य में संतुलन खो बैठता है। यही सीख हमें इस कविता से मिलती है|
11. ला शत्रूज का अंतरंग विवरण अपने शब्दों में प्रस्तुत करते हुए यह स्पष्ट कीजिए कि लेखक ने उसके स्थापत्य को ‘मौन का
स्थापत्य’ क्यों कहा है?
उत्तर—ला शत्रूज में फ्रेंच शासकों ने एक किला बनाया था। दो-दो कमरों के चैम्बर सुसज्जित हैं। उसमें फर्नीचर चौदहवीं सदी जैसा है। रसोईघर और नहानघर आधुनिक हैं। संगीत व्यवस्था भी आधुनिक है। चैम्बरों के मुख्य द्वार कब्रगाह के चारों ओर बने गलियारों में खुलते हैं। पीछे आँगन भी है और पिछवाड़े से एक
दरवाजा भी। भोजन इत्यादि की सुविधा भी है। काथूसियन सम्प्रदाय मौन में विश्वास करता है। इसीलिए सारा स्थापत्य एक तरह से ‘मौन का स्थापत्य’ ही था। यह बेहद शांत और नीरव स्थान है।
12. किसके पास तटस्थ रह पाना संभव नहीं हो पाता और क्यों?
उत्तर-न नदी के किनारे, नही कविता के पास हम तटस्थ रह पाते हैं। अगर हम खुलेपन से गए हैं तो हम उसकी अभिभूति से बच नहीं सकते। नदी और कविता से में हम बरबस शामिल हो जाते हैं। जैसे हमारे चेहरों पर नदी की आभा आती है। वैसे ही हमारे चेहरों पर कविता की चमक। निरंतरता, नदी और कविता दोनों
का अभिषेक करती है।
13. लेखक आविन्यों क्या साथ लेकर गए थे और वहाँ कितने दिनों तक रहे? लेखक की उपलब्धि क्या रही?
उत्तर—लेखक अशोक वाजपेयी कुल इक्कीस दिन आविन्यों में रहे। वे 24 अक्टूबर से 10 नवम्बर, 1994 की दोपहर तक रहे। वे अपने साथ हिन्दी का टाइपराइटर, तीन-चार पुस्तकें और कुछ संगीत के टेप्स भर ले गए थे। सिर्फ अपने में रहने और लिखने के अलावा प्रायः कुछ और करने की कोई विवशता न होने का लेखक के जीवन में यह पहला ही अवसर था। इतने निपट एकांत में रहने का भी कोई अनुभव नहीं था। कुल 19 दिनों में 35 कविताएँ और 27 गद्य रचनाएँ लेखक ने लिखीं।
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