प्रश्न 1. अशिक्षा लोकतंत्र के लिये अभिशाप है, कैसे?
उत्तर शिक्षा का अभाव लोकतंत्र के लिए एक गंभीर चुनौती है। शिक्षा विशेषकर राजनीतिक शिक्षा के अभाव में कोई भी नागरिक अपने लोकतांत्रिक अधिकारों से अनभिज्ञ रहता है । नागरिकों का शिक्षित होना स्वस्थ लोकतंत्र के विकास में महत्त्वपूर्ण होता है । विशेषकर महिलाओं को शिक्षित करना अतिआवश्यक है । राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत महिलाओं में निरक्षरता दूर करने, शिक्षा में आनेवाली बाधाओं के निराकरण करने तथा उन्हें प्रारंभिक शिक्षा में बनाए रखने के लिए सर्वाधिक प्राथमिकता सरकार की ओर से दी जा रही है। जब तक किसी देश के नागरिक चाहे वह पुरुष हो या महिला अशिक्षित रहेंगे, कोई भी देश अपने यहाँ विकसित लोकतंत्र की स्थापना नहीं कर सकता । इस कारण हम कह सकते हैं कि शिक्षा का अभाव लोकतंत्र की एक गंभीर चुनौती में से एक है।
प्रश्न 2. गठबंधन की राजनीति लोकतंत्र के लिए चुनौती है। कैसे ?
उत्तर चुनाव में किसी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं आने पर सरकार बनाने के लिए छोटी-छोटी क्षेत्रीय पार्टियाँ आपस में गठबंधन कर सरकार बनाती हैं। इसमें वैसे उम्मीदवारों को भी चुन लिया जाता है जो दागी प्रवृत्ति या आपराधिक पृष्ठभूमि के होते हैं। यह लोकतंत्र के लिए एक अलग प्रकार की चुनौती है। गठबंधन में शामिल राजनीतिक दल अपनी आकांक्षाओं और लाभों की संभावनाओं के मद्देनजर ही गठबंधन करने के लिए प्रेरित होते हैं, जिससे प्रशासन पर सरकार की पकड़ ढीली हो जाती है। अतः गठबंधन की राजनीति भी लोकतंत्र के लिए चुनौती साबित हो
रहे हैं।
प्रश्न 3. नेपाल में किस तरह की शासन-व्यवस्था है ? लोकतंत्र की स्थापना में वहाँ क्या-क्या बाधाएँ हैं ?
उत्तर-नेपाल में अभी राजशाही शासन को समाप्त कर लोकतांत्रिक शासन स्थापित करने का प्रयास किया गया है जो सफलता एवं असफलता के बीच फंस गया है।
लोकतंत्र की स्थापना में वहाँ बहुत सारी बाधाएँ हैं, जैसे माओवादी नेताओं की समस्या । माओवादी नेताओं को यह समझना चाहिए कि लोकतंत्र में और वह भी
मिली-जुली सरकार में अपनी इच्छा लादना संभव नहीं है । दूसरी समस्या संविधान सभा का चुनाव तराई क्षेत्र में असंतोष तथा माओवादियों द्वारा हथियार नहीं सौंपना है।
प्रश्न 4. भारतीय लोकतंत्र के तीन अंग कौन-कौन हैं?
उत्तर-लोकतंत्र के तीन अंग हैं—कार्यपालिका, विधायिका तथा न्यायपालिका ।
प्रश्न 5. भारतीय लोकतंत्र कैसा लोकतंत्र है?
उत्तर–भारतीय लोकतंत्र प्रतिनिध्यात्मक लोकतंत्र है। इसमें शासन का संचालन जन प्रतिनिधियों द्वारा किया जाता है।
प्रश्न 6. लोकतांत्रिक सुधारों के प्रस्ताव क्या हैं ?
उत्तर-लोकतांत्रिक सुधारों के प्रस्ताव में लोकतांत्रिक आंदोलन, नागरिक संगठन और मीडिया पर भरोसा करने वाले उपाय शामिल हैं।
प्रश्न 7. लोकतंत्र की बड़ी चुनौतियाँ क्या है ?
उत्तर-लोकतंत्र की बड़ी चुनौतियों में लोकसभा और राज्यसभा के चुनाव में होने वाले अंधाधुंध चुनावी खर्च, उम्मीदवारों के टिकट-वितरण और चुनावों की पारदर्शिता शामिल हैं।
प्रश्न 8. लोकतंत्र की चुनौतियों का अर्थ स्पष्ट करें।
उत्तर- लोकतंत्र को अनेक समस्याओं और कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इन्हें ही लोकतंत्र की चुनौतियाँ माना जाता है। लोकतंत्र की चुनौतियों का अर्थ उन समस्याओं और कठिनाइयों का सामना करना है जो इसके मार्ग में आती है। कठिनाईयों के बावजूद चुनौतियों पर विजय प्राप्त की जा सकती है।
प्रश्न 9. लोकतंत्र की मुख्य चुनौतियों का उल्लेख करें।
उत्तर- लोकतंत्र की तीन मुख्य चुनौतियाँ स्पष्ट रूप से उभर कर सामने आती हैं—बुनियादी चुनौती अर्थात लोकतंत्र की स्थापना अथवा लोकतंत्र की वापसी की चुनौती, लोकतंत्र के विस्तार की चुनौती तथा लोकतंत्र को मजबूत करने की चुनौती। इन चुनौतियों का सामना करके ही लोकतंत्र की बाधाओं को दूर कर लोकतंत्र को सफल बनाया जा सकता है।
प्रश्न 10. बिहार में लोकतंत्र की चुनौतियाँ का वर्णन करें ?
उत्तर-भारत के अन्य राज्यों की तरह बिहार में भी स्वस्थ लोकतंत्र स्थापित है । इसके बावजूद यहाँ क्षेत्रीय और स्थानीय स्तर पर चुनौतियाँ मौजूद हैं । आज भी भ्रष्टाचार, जातिवाद, परिवारवाद जैसी बुराइयाँ यहाँ निर्णायक भूमिका निभाती हैं। हाल के दशकों में यह परंपरा बनी कि जिस जन प्रतिनिधि के निधन या इस्तीफे के कारण कोई सीट खाली हुई उसके ही किसी परिजन को चुनाव का टिकट दे दिया जाए। यह लोकतंत्र की खामियों को दर्शाता है।
प्रश्न 11. केन्द्र तथा राज्यों के बीच सामंजस्य क्यों आवश्यक है ?
उत्तर- केन्द्र तथा राज्यों के बीच आपसी टकराव से आतंकवाद से लड़ने और जनकल्याणकारी योजनाओं (शिक्षा, जाति भेदभाव, लिंग भेद, नारी शोषण, बाल-मजदूरी एवं सामाजिक कुरीतियों इत्यादि) के सुचारू क्रियान्वयन में बाधा पहुँचती है, जबकि कोई भी अपेक्षित लक्ष्य हासिल करने के लिए केन्द्र और राज्य सरकारों के बीच बेहतर सामंजस्य एवं तालमेल की काफी आवश्यकता है।
प्रश्न 12. भारतीय लोकतंत्र की दीर्घकालिक और समसामयिक समस्याएँ क्या हैं?
उत्तर भारतीय लोकतंत्र में अनेक दीर्घकालिक और समसामयिक समस्याएँ हैं जो हमारा ध्यान आकर्षित करती है। इनमें से प्रत्येक समस्याओं को संकीर्ण दलीय राजनीति से ऊपर उठकर हल किए जाने की आवश्यकता है। इन समस्याओं में निश्चित रूप से महँगाई, बेरोजगारी, आर्थिक मंदी, ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन, विदेश-नीति, आंतरिक सुरक्षा, रक्षा तैयारियाँ आदि हैं तथा देश की एकता और अखंडता, आतंकवाद, नक्सलवाद, अवैध शरणार्थी तथा बढ़ते आर्थिक अपराध है ।
प्रश्न 13. भारतीय लोकतंत्र के कुशल संचालन में आर्थिक विषमता या असमानता किस प्रकार बाधा पहुँचाती है ?
उत्तर भारत में लोकतंत्र के मार्ग में अनेक बाधाएँ हैं, आर्थिक असमानता भी उनमें से एक है। कुछ लोग तो बहुत अमीर हैं, जबकि लोगों की एक बड़ी संख्या ऐसी है जो दोनों वक्त की रोटी भी नहीं जूटा पाती । यह आर्थिक असमानता लोकतंत्र के कुशल संचालन में अनेक बाधाएँ उपस्थित करती है-
(i) आर्थिक असमानता में बन्धुत्व तथा सर्वमान्य समाज की भावना समाप्त हो जाती है जो लोकतंत्र के लिए एक बड़ा खतरा है।
(ii) आर्थिक असमानता के कारण एक वर्ग द्वारा दूसरे वर्ग का उत्पीड़न व शोषण होता है।
(iii) आर्थिक असमानता के रहते हुए राजनीतिक अधिकारों का कोई महत्व नहीं रह जाता।
प्रश्न.14. भारतीय लोकतंत्र के कुशल संचालन में महिलाओं की असमानता किस प्रकार बाधा पहुँचाती है ?
उत्तर-महिलाओं की असमानता लोकतंत्र के लिए बाधक सिद्ध होती है, इसके संबंध में निम्नलिखित तर्क दिए जा सकते हैं-
(i) लोकतंत्र का आधार है समाज में सभी को समानता दिलाना। परन्तु नारियों को पुरुषों के बराबर न समझने से लोकतंत्र विकसित ही नहीं हो सकता।
(ii) नारियों को पुरुषों के बराबर स्वतंत्रता भी प्राप्त नहीं है। स्वतंत्रता के बिना लोकतंत्र का कोई अर्थ नहीं रह जाता क्योंकि स्वतंत्रता ही लोकतंत्र का मूल आधार है।
(iii) पुरुषों के द्वारा नारियों का शोषण व उत्पीड़न होता है जो कि लोकतंत्र के मार्ग में एक महान बाधा है।
Ashiksha Loktantra Ke Liye Abhishap Hai Kaise अशिक्षा लोकतंत्र के लिये अभिशाप है, कैसे? 10th Civics Important Question Civics vvi Question भारतीय जनतंत्र की वर्तमान चुनौतियां और समाधान