10th Hindi Subjective (Short) Question Chapter 8

10th Hindi Subjective (Short) Question Chapter 8

10th Hindi Subjective (Short) Question Chapter 8 Class (क्लास) 10 हिन्दी सब्जेक्टिव क्वेशन चैप्टर 8 कक्षा 10 हिन्दी सब्जेक्टिव अध्याय 8 Matric (मैट्रिक) Subjective Hindi

1. बिरजू महाराज के जीवन में सबसे दुखद समय कब आया?

उत्तर-बिरजू महाराज जब साढ़े नौ साल के थे तब उनके पिता जी की मृत्यु हुई थी। उस समय वे इतना छोटा थे कि उनको यह दुख समझ में भी नहीं आया। उनके मरते ही बिरजू महाराज के परिवार में दुखद दिनों की शुरुआत हो जाती है। चाचा शम्भु महाराज का कर्ज लेकर खाना-पीना और घर भर को गालियाँ देना। स्थिति इतनी दुखदायी थी कि बिल्कुल पैसा नहीं था। पिताजी का दसवाँ और तेरहीं करने के लिए बिरजू महाराज को दो प्रोग्राम तक करने पड़े। यह बिरजू महाराज के जीवन का सबसे दुखद समय था।

2. पंडित बिरजू महाराज के बचपन के बारे में संक्षेप में लिखें।

उत्तर- पंडित बिरजू महाराज का जन्म लखनऊ के जफरीन अस्पताल में 1938, 4 फरवरी, शुक्रवार, सुबह 8 बजे ठीक वसंत पंचमी के एक दिन पहले हुआ। घर में वह आखिरी संतान थे। इनकी तीन बहनें थीं। सबसे छोटी बहन पंडित बिरजू महाराज से आठ-नौ साल बड़ी थी।

3. पाठ के आधार पर पंडित बिरजू महाराज के जीवन के दुखद
क्षणों का वर्णन करें।

उत्तर- इस पाठ में पंडित बिरजू महाराज ने अपनी जीवन के दुःखद क्षणों में पैसा नहीं था का वर्णन किया है। वे अपने पिता का दसवाँ करने के लिए असमर्थ थे। किसी तरह पंडित बिरजू महाराज को दो प्रोग्राम मिले जिसमें उन्हें 500 रुपये प्राप्त हुए। उन्हीं पैसों से उन्होंने अपने पिताजी का दसवाँ और तेरहीं कर सके। यह क्षण बहुत ही दु:खद था।

4. लखनऊ और रामपुर से बिरजू महाराज का क्या संबंध है?

उत्तर लखनऊ में बिरजू महाराज का जन्म हुआ था। बिरजू महाराज की तीन बहनें रामपुर में हुई थीं। उनके पिता जी रामपुर में बाईस साल रहे। बीसवीं शताब्दी के चौथे और पाँचवें दशक के विभिन्न राजा कुछ समय के लिए कलाकारों को माँग लिया करते थे। बिरजू महाराज के बाबूजी पटियाला और रामगढ़ से पुनः रामपुर लौट आए थे। उस समय बिरजू महाराज की उम्र पाँच-छह साल की थी। छह साल की उम्र में बिरजू महाराज रामपुर के नवाब साहब को बहुत पसंद आए। वे वहाँ आकर नाचते थे। इस तरह लखनऊ और रामपुर से बिरजू महाराज का गहरा संबंधहै।

5. बिरजू महाराज ने नृत्य की शिक्षा किसे और कब देनी शुरू की?

उत्तर-बिरजू महाराज ने नृत्य की शिक्षा रश्मिजी को लगभग 56 के आस-पास, जब उन्हें सीखने वाले की खोज थी, देनी प्रारंभ की। उस समय महाराज को सही पात्र की खोज थी।

6. बिरजू महाराज अपना सबसे बड़ा जज अपनी माँ को क्यों मानते थे?

उत्तर-बिरजू महाराज की अम्मा लखनऊ घराने के बुजुर्गो की तारीफ कर उनके सामने उदाहरण दिया करती थी। इन्होंने ठुमरी अपनी अम्मा से ही सीखा था। पिता जी के निधन के बाद बिरजू महाराज को आगे बढ़ाने में बहुत बड़ा हाथ था। जब भी अम्मा नाच देखती थी तो बिरजू महाराज पूछते थे कि कही गलत तो नहीं
कर रहा हूँ? बाबू जी वाला ढंग है या नहीं। कहीं गड़बड़ी तो नहीं हो रही। तब अम्मा बताती थी, तुम अपने बाबू जी की तस्वीर हो। इस प्रकार अम्मा इनका उत्साहवर्द्धन करते रहती थी। इसलिए बिरजू महाराज अपना सबसे बड़ा जज अपनी माँ को मानते थे।

7. बिरजू महाराज की अपने शागिर्दो के बारे में क्या राय है?

उत्तर-बिरजू महाराज अपनी शिष्या रश्मि वाजपेयी को भी अपना शागिर्द मानते हैं। वे उन्हें शाश्वती कहते हैं। इसके साथ-साथ वैरोनिक, फिलिप, मेक्लीन टॉक, तीरथ प्रताप, दुर्गा इत्यादि को उन्होंने प्रमुख शागिर्द बताया है। वे लोग नृत्य के क्षेत्र में प्रगति कर रहे हैं और प्रगतिशील बने हुए हैं।

8. बिरजू महाराज के गुरु कौन थे? उनका संक्षिप्त परिचय दें।

उत्तर-बिरजू महाराज के गुरु उनके पिताश्री ही थे। बिरजू महाराज को तालीम बाबूजी से ही मिली। उन्होंने ही बिरजू महाराज को गण्डा बाँधा। वे उत्कृष्ट स्वभाव के थे। वे अपना कष्ट किसी के समक्ष प्रकट नहीं करते थे। वे कलाप्रेमी थे। जब बिरजू महाराज साढ़े नौ साल के थे, उसी समय बाबूजी का निधन हो गया।

9. बिरजू महाराज के हक में क्या अच्छा हुआ?

उत्तर-बिरजू महाराज के हक में यह अच्छा हुआ कि वे धन-कमाने के लोभ से मुंबई नहीं गए और घर-परिवार चलाते हुए भी वे अपनी कला-साधना के प्रति आस्थावान् बने रहे।

10. बिरजू महाराज अपना सबसे बड़ा जज किसको मानते थे?

उत्तर-बिरजू महाराज अपना सबसे बड़ा जज (मूल्यांकनकर्ता) अपनी अम्मा को मानते हैं। जब वे नाचते थे तो उनकी अम्मा देखती थी। वे अपनी अम्मा से अपनी कमी और अच्छाई के बारे में प्रश्न किया करते थे। अम्माजी ने पिताश्री से तुलना कर इसमें निखार-सुधार लाने को कहा।

11. शंभु महाराज के साथ बिरजू महाराज के संबंध पर प्रकाश डालिए।

उत्तर-बिरजू महाराज शंभु महाराज के साथ बचपन में नृत्य किया करते थे। आगे चलकर भारतीय कला केन्द्र में उनके साहचर्य में आए। शंभु महाराज के साथ सहायक रहकर उन्होंने कला के क्षेत्र में विस्तार किया। शंभु महाराज उनके चाचा लगते थे। बचपन से ही महाराजजी को उनका मार्गदर्शन और आशीर्वचन मिला।

12. अपने विवाह के बारे में बिरजू महाराज क्या बताते हैं?

उत्तर-बिरजू महाराज की शादी 18 वर्ष की उम्र में हुई थी। उस समय वे विवाह के खिलाफ थे। लेकिन पिता की मृत्यु और माँ की घबराहट के कारण उन्होंने जल्दी में शादी कर ली। शादी को साधना में वे नुकसानदेह मानते थे। विवाह के कारण वे नौकरी करते रहे।

13. किनके साथ नाचते हुए बिरजू महाराज को पहली बार प्रथम
पुरस्कार मिला?

उत्तर शंभु महाराज चाचाजी और बाबूजी के साथ नाचते हुए बिरजू महाराज को पहली बार प्रथम पुरस्कार मिला। चाचाजी कहने लगे देख भैया बड़े मियाँ तो बड़े मियाँ, छोटे मियाँ सुभान अल्लाह। बिरजू महाराज बहुत खुश हुए।

14. अम्माजी को किस बात का दुःख था?

उत्तर-बिरजू महाराज अपनी माँ के साथ दरियागंज में जैन साहब के दुछत मकान में रहते थे। उनकी माँ को इस बात का दु:ख था कि उनके लड़के को जै साहब के मकान में रहने के कारण खाने के लिए प्याज नहीं मिल रहा था।

15. रामपुर के नवाब की नौकरी छूटने पर हनुमानजी को प्रसाद क्य चढ़ाया ?

उत्तर—छः साल की उम्र में बिरजू महाराज नवाब साहब को बहुत पसंद अ गए थे। वे वहाँ जाकर नाचते थे। उन्हें पीछे पैर मोड़कर बैठना पड़ता था, चूड़ीदार पैजामा साफा, अचकन पहनकर। उनकी अम्माजी बहुत परेशान थी। उन्होंने उनकी तनख्वाह भी बाँध दी थी। बाबूजी रोज हनुमानजी को प्रसाद चढ़ाकर माँगते थे कि 22 साल गुजर गए, अब नौकरी छूट जाए। नवाब साहब बहुत नाराज कि तुम्हारा लड़का नहीं होगा तो तुम भी नहीं रह सकते। खैर बाबूजी बहुत खुश हुए और उन्होंने मिठाई बाँटी। हनुमानजी को प्रसाद चढ़ाया कि जान छूटी।

16. संगीत भारती में बिरजू महाराज की दिनचर्या क्या थी?

उत्तर—संगीत भारती में बिरजू महाराज को 250 रुपए मिलते थे। उस समय दरियागंज में जैन साहब के दोतल्ले मकान में रहते थे। वे दरियागंज से 5 या 9 नम्बर की बस पकड़ते थे। कभी रीगल पर और तो कभी ओडेन सिनेमा के पास उतरते थे । कभी-कभी वे रास्ता भी भूल जाते थे। संगीत भारती में उन्हें प्रदर्शन का अवसर
कम मिलता था। अंततः दुःखी होकर नौकरी छोड़ दी।

17. कपिलाजी अचानक लखनऊ क्यों पहुँची?

उत्तर-बिरजू महाराज के लखनऊ आने की खबर पाकर कपिलाजी अचानक लखनऊ पहुँच गयी।

18. बिरजू महाराज कौन-कौन से वाद्य बजाते थे ?

उत्तर-बिरजू महाराज सितार, गिटार, हरमोनियम, बाँसूरी इत्यादि वाद्य यंत्र बजाते थे।

19. बिरजू महाराज रास्ता क्यों भूल जाते थे?

उत्तर-बिरजू महाराज एक महीने तक रास्ता ही भूल जाते थे। चारों तरफ एक-से संभे होने के कारण उन्हें प्रायः भ्रम हो जाया करता था और वे रास्ता भूल जाया करते थे।

20. पाठ के आधार पर पंडित बिरजू महाराज की विशेषताएँ बताइए।

उत्तर- पंडित बिरजू महाराज कथक के महान साधक हैं। उनकी एकांत निष्ठा, अथक साधना और सर्जनात्मक कल्पनाशीलता बेमिसाल है। वे कथक के लालित्य के कवि हैं। उन्होंने अपनी कलासाधना से सिद्ध किया कि हमारी शास्त्रीय कला जड़
नहीं अपितु जीवंत है।

21. कलकत्ते के दर्शकों की प्रशंसा का बिरजू महाराज के नर्तक
जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तर–कलकत्ता के एक कांफ्रेंस में बिरजू महाराजजी ने नृत्य किया था। उस नृत्य की कलकत्ते की दर्शक जनता ने भूरि-भूरि प्रशंसा की। तमाम समाचारपत्रों में वे छप और छा गए। वहीं से इनके जीवन में एक नया मोड़ आया। उस समय से वे निरंतर प्रगति के शिखर की ओर बढ़ने लगे।

10th Hindi  Subjective (Short) Question Chapter 8 Class (क्लास) 10 हिन्दी सब्जेक्टिव क्वेशन चैप्टर 8 कक्षा 10 हिन्दी सब्जेक्टिव अध्याय 8  Matric (मैट्रिक) Subjective Hindi 10th Hindi Subjective (Short) Question Chapter 8