10th Hindi Subjective (Short) Question Chapter 4 Class (क्लास) 10 हिन्दी सब्जेक्टिव क्वेशन चैप्टर 4 कक्षा 10 हिन्दी सब्जेक्टिव अध्याय 4 Matric (मैट्रिक) Subjective Hindi
1. मनुष्य बार-बार नाखून क्यों काटता है?
उत्तर—मनुष्य के नाखुन पाश्वी वृति के जीवंत प्रतीक है। मनुष्य अपनी पशुता को जितनी बार काट दें वह मरना नहीं जानती। इसके नाखुन आज भी बढ़ रहे हैं। यह मनुष्य के पशुत्व का प्रमाण है। अपने नाखुन को बार-बार काटने की प्रवृत्ति उसके मनुष्यता की निशानी है। मनुष्य के भीतर बर्बर युग का कोई अवशेष रह न
जाए इसलिए मनुष्य अपने नाखुन को बार-बार काटता है।
2. नाखून बढ़ने का प्रश्न लेखक के सामने कैसे उपस्थित हुआ?
उत्तर-एक दिन लेखक की छोटी लड़की ने उनसे अचानक पूछ दिया कि आदमी के नाखून क्यों बढ़ते हैं? इस प्रश्न का उत्तर के लिए लेखक पहले से तैयार नहीं था। परन्तु प्रश्न का उत्तर देना जरूरी था। इसी चिंतन प्रक्रिया में निबंध अस्तित्व में आया।
3. लेखक द्वारा नाखूनों को अस्त्र के रूप में देखना कहाँ तक संगत है?
उत्तर—जब मनुष्य के पास हथियार नहीं थे तो वह नाखूनों से अस्त्र का काम लेता रहा होगा। मनुष्य अपने बच्चों को नाखून नष्ट करने पर डाँटता रहा होगा। यह तर्क संगत प्रतीत होता है।
4. लेखक क्यों पूछता है कि मनुष्य किस ओर बढ़ रहा है, पशुता
की ओर या मनुष्यता की ओर?
उत्तर–नाखून क्यों बढ़ते हैं? यह हमारी पशुता के अवशेष हैं। अस्त्र-शस्त्र क्यों बढ़ रहे हैं? ये हमारी पशुता की निशानी है। लेखक इसलिए पूछता है कि मनुष्य किस ओर बढ़ रहा है? स्पष्ट है वह पशुता की ओर ही बढ़ रहा है। वह चाहता जरूर है कि वह मनुष्यता की ओर बढ़े। आज मनुष्य अस्त्र-शस्त्र का जखीरा इकट्ठा किए जा रहा है। यह तो पशुता की ही निशानी कही जाएगी।
5. बढ़ते नाखूनों की प्रकृति क्या है?
उत्तर- बढ़ते नाखूनों की प्रकृति है कि वह नाखून को जिलाए जा रही है। मनुष्य उसे काटे जा रहा है।
6. बढ़ते नाखूनों द्वारा प्रकृति मनुष्य को क्या याद दिलाती है?
उत्तर- बढ़ते नाखूनों द्वारा प्रकृति मनुष्य को याद दिलाती है कि लाख वर्ष पहले मनुष्य नखों और दाँतों पर निर्भर पशुवत जीव था। आज भी हमारी पशुता नष्ट नहीं हुई है। पशुता मनुष्य की आदिम प्रवृत्ति है।
7. लेखक के अनुसार सफलता और चरितार्थता क्या है?
उत्तर– लेखक हजारी प्रसाद द्विवेदी के अनुसार मनुष्य मरणास्त्रों के संचयन से, बाह्य उपकरणों के बाहुल्य से उस वस्तु को पा लेना सफलता है, जबकि चरितार्थ से लेखक के अनुसार मनुष्य के प्रेम में है, मैत्री में है, त्याग में है, अपने को सबके मंगल के लिए नि:शेष भाव से दे देने में है।
8. लेखक की दृष्टि में हमारी संस्कृति की बड़ी भारी विशेषता क्या
है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-लेखक की दृष्टि में अपने-आप पर अपने-आप के द्वारा लगाया हुआ बंधन हमारी संस्कृति की बड़ी भारी विशेषता है । हम स्वाधीनता चाहते हैं । अंग्रेज अनधीनता चाहते हैं ।
9. स्वाधीनता शब्द की सार्थकता लेखक क्या बताता है?
उत्तर- दरअसल, स्वाधीनता का अर्थ है ‘स्व’ के अधीन होना। हमारे यहाँ आजादी का अर्थ ‘इण्डिपेण्डेंस’ कहना उचित नहीं प्रतीत होता है। ‘इंडिपेण्डेंस’ का अर्थ सिर्फ अनधीनता है। आजादी का वास्तविक अर्थ किसी के अधीन नहीं होना है, बल्कि ‘स्व’ के अधीन होना। ‘स्व’ के बंधन बड़ा व्यापक है। इसीलिए हमारे यहाँ आजादी के लिए स्वतंत्रता, स्वराज्य और स्वाधीनता है। स्व के अधीन होना ही वास्तविक आजादी है।
10. मनुष्य की पूँछ की तरह उसके नाखून भी एक दिन झड़ जाएँगे। प्राणिशास्त्रियों के इस अनुमान से लेखक के मन में कैसी आशा जगती है?
उत्तर— ऐसा कोई दिन आ सकता है, जबकि मनुष्य के नाखूनों का बढ़ना बंद हो जाएगा।
प्राणिशास्त्रियों का ऐसा अनुमान है कि मनुष्य का अनावश्यक अंग उसी प्रकार झड़ जाएगा, जिस प्रकार उसकी पूँछ झड़ गयी है । उस दिन उसकी पशुता भी लुप्त हो जाएगी । शायद उस दिन वह मरणास्त्रों का प्रयोग भी बंद कर देगा।
प्राणिशास्त्रियों के इस अनुमान में बड़ा दम है ।
11. देश की आजादी के लिए प्रयुक्त किन शब्दों की अर्थ मीमांसा
लेखक करता है और लेखक के निष्कर्ष क्या हैं ?
उत्तर-आजादी के लिए स्वतंत्रता, स्वराज्य और स्वाधीनता इत्यादि शब्दों की अर्थ मीमांसा लेखक करता है । वह ‘इन्डिपेन्डेन्स’ एवं ‘सेल्फ इन्डिपेन्डेन्स’ शब्द का भी प्रयोग करता है । इन शब्दों में स्व का बन्धन है । भारतीय चित्र ‘अधीनता’ के रूप में न सोचकर ‘स्वाधीनता’ के रूप में सोचता है ।
12. लेखक ने किस प्रसंग में कहा है कि बंदरिया मनुष्य का आदर्श नहीं बन सकती लेखक का अभिप्राय स्पष्ट करें
उत्तर- पुराने से चिपटे रहने में बुद्धिमता नहीं है । पुराने का ‘मोह’ सब समय वांछनीय ही नहीं होता। इसीलिए लेखक कहता है कि मरे बच्चे को गोद दबाए रहने वाली ‘बंदरिया’ मनुष्य का आदर्श नहीं बन सकती । सब पुराने अच्छे नहीं होते। सब नए खराब ही नहीं होते । हम स्वाधीनता चाहते हैं, अनधीनता नहीं । यही है प्रसंग ।
13. लेखक ने बूढ़े शब्द का प्रयोग किसके लिए किया है? बूढ़े को
क्यों गोली मार दी गयी?
उत्तर-बूढ़े शब्द का प्रयोग महात्मा गाँधी के लिए किया गया है। उन्होंने आन्तरिक गुण को विकसित करने को ही असली प्रगति कहा। बाहरी प्रगति वास्तविक विकास नहीं है। उस बूढ़े के इस कथन को वैसे लोग नहीं समझ पाए,जो बाहरी सुख को सबकुछ मानते हैं। इन लोगों ने नासमझवश बूढ़े को गोली मार दी।
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