10th Hindi Subjective (Short) Question Chapter 3

10th Hindi Subjective (Short) Question Chapter 3

10th Hindi Subjective (Short) Question Chapter 3 Class (क्लास) 10 हिन्दी सब्जेक्टिव क्वेशन चैप्टर 3 कक्षा 10 हिन्दी सब्जेक्टिव अध्याय पहला  Matric (मैट्रिक) Subjective Hindi

1. सच्चे भारत के दर्शन कहाँ हो सकते हैं?

उत्तर- मैक्समूलर का कहना है कि जो लोग भारत के महानगरों यथा कलकत्ता, बम्बई, मद्रास या दूसरे शहरों से घुमकर आये हैं, वो इसके चकाचौंध में अपने-आप को भूल जाते हैं। शहरों के व्यस्त जीवन में न तो सामाजिकता होती है और न मानवता प्रेम, भ्रातृत्व, आपसी सौहार्द यह सब शहरों में कहाँ।
भारत गाँवों का देश है। इसकी आत्मा गाँवों में बसती है। मानव-जीवन का सार-सौन्दर्य गाँवों में देखने को मिलता है। प्रकृति के सारे सौन्दर्य यही उपलब्ध होते हैं। इसलिए सच्चे भारत के दर्शन भारत के गाँवों में हो सकते हैं।

2. लेखक ने नया सिकन्दर किसे कहा है और क्यों?

उत्तर- विश्वविख्यात विद्वान मैक्समूलर ने भारतीय सिविल सेवा हेतु चयनित युवा अंग्रेज अधिकारियों को नया सिकन्दर कहा है। सिकन्दर प्राचीन इतिहास के एक वीर यूनानी राजा थे, जो अपनी प्रबल, पराक्रम, अथक, उत्साह, अदम्य महत्त्वाकांक्षा के लिए जाने जाते हैं। प्रशिक्षु अधिकारियों को लेखक ने नया सिकन्दर कह कर भारत पर विजय एवं भारत की नयी खोज करने को प्रेरित किया है।

3. हमें भारत की शरण लेने की कब जरूरत पड़ेगी?

उत्तर- यदि हम ज्ञान के किसी भी क्षेत्र को अपने विशिष्ट अध्ययन का विषय बनाते हैं तो हमें भारत की शरण लेने की जरूरत पड़ेगी। भारत मानव मस्तिष्क के सारे क्षेत्रों के सत्य को अन्वेषित करने की क्षमता रखता है।

4. लेखक ने भारत की किन विशेषताओं का वर्णन किया है?

उत्तर— सर्वविध सम्पदा और प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण भारत देश है। मानव मस्तिष्क की उत्कृष्टतम उपलब्धियों का सर्वप्रथम साक्षात्कार भारतवर्ष ने किया है। जीवन की बड़ी समस्याओं का समाधान भारतवर्ष ने ढूँढा है।

5. मैक्समूलर ने भारतीय साहित्य को पढ़ने की सलाह क्यों दी है?

उत्तर– भारतीय साहित्य में अन्तरतम को समृद्ध बनाने की कला है। भारत का साहित्य मानवीयता और जीवन के शाश्वत मूल्यों को विकसित करता है। इसलिए वे भारतीय साहित्य को पढ़ने की सलाह देते हैं।

6. समस्त भूमंडल में सर्वविद सम्पदा और प्राकृतिक सौंदर्य से
परिपूर्ण देश भारत है। लेखक ने ऐसा क्यों कहा है?

उत्तर— मैक्समूलर ने ठीक ही लिखा है कि भारत में सब प्रकार की सम्पदा मिलती है। भारत की प्राकृतिक सुन्दरता दर्शनीय है। भारत मानव मस्तिष्क की उत्कृष्टतम उपलब्धियों का सर्वप्रथम साक्षात्कार करनेवाला देश है। जीवन की बडी समस्याओं पर विचार कर भारतवासियों ने उनका हल प्रस्तुत किया। यूरोप को भी भारत की इन विशेषताओं को स्मरण करना चाहिए। यूरापेवालों को केवल प्लेटों और काण्ट का अध्ययन नहीं करना चाहिए। भारत मानवीयता में विश्वास करता है। भारत यह जन्म तो सफल एवं शान्त करता ही है, वह अगला जन्म में भी सुधार लाता है। अतः लेखक मैक्समूलर की उक्ति सही है।

7. लेखक ने नीतिकथाओं के क्षेत्र में किस तरह भारतीय अवदान को रेखांकित किया है?

उत्तर– लेखक मैक्समूलर (1823-1900) ने ‘भारत से हम क्या सीखें’ शीर्षक भाषण में भारत की प्राचीनता और विलक्षणता पर प्रकाश डाला है।
नीतिकथाओं के अध्ययन क्षेत्र में भी भारत के कारण नवजीवन का संचार हो चुका है। भारत के कारण ही समय-समय पर नानाविध साधनों और मार्गों के द्वारा अनेक नीति कथाएँ पूर्व से पश्चिम की ओर आती रही हैं। प्रचलित कहावतों और दन्त कथाओं का प्रमुख स्रोत अब बौद्ध धर्म को माना जाता है।
भारत तथा पश्चिम की अनेक दन्त कथाओं में आश्चर्यजनक अनुरूपताएँ मिलती हैं।

8. लेखक किन विशेष क्षेत्रों में अभिरुचि रखनेवालों के लिए भारत का प्रत्यक्ष ज्ञान आवश्यक बताया है?

उत्तर– किसी विदेशी या भारत आनेवाले विदेशी के लिए भारत से बहुत-सी चीजें देखने को मिलेंगी। भूविज्ञान, वनस्पति जगत, जीवजंतु जगत। नृवंश विद्या,
पुरातत्त्व विद्या—किसी भी क्षेत्र में जिसकी भी रुचि हो, वह भारतवर्ष आकर अध्ययन कर सकता है। भारत का आनेवालों को प्रत्यक्ष ज्ञान प्राप्त करना चाहिए।

9. विधिशास्त्र के विद्यार्थियों के लिए भारत कैसा रहेगा?

उत्तर- विधिशास्त्र में रुचि वाले विदेशियों को एक ऐसे इतिहास की
जाँच- -पड़ताल का अवसर मिलेगा जो यूनान, रोम या जर्मनी के ज्ञात विधिशास्त्रों के इतिहास से सर्वथा भिन्न होते हुए भी इनके साथ समानताओं और विभिन्नताओं के कारण उपयोगी है।

10. भाषाविज्ञान के क्षेत्र में भारत कैसा है?

उत्तर- भाषाविज्ञान में रुचि रखनेवाले यूरोपियनों को भी प्रचुर सामग्री भारत में मिलेगी। भारत से बढ़कर दूसरा कोई देश दिखाई नहीं देगा जहाँ केवल शब्दों का ही नहीं, बल्कि व्याकरणात्मक तत्त्वों के विकास और क्षय से संबद्ध भाषावैज्ञानिक समस्याओं के अध्ययन का अवसर मिलता हो।

11. भारत को पहचान सकनेवाली दृष्टि की आवश्यकता किनके
लिए वांछनीय है और क्यों?

उत्तर- दो-तीन हजार वर्ष पुराना ही क्यों, आज का भारत भी ऐसी अनेक समस्याओं से भरपूर है जिनका समाधान उन्नीसवीं सदी के हम यूरोपियन लोगों के लिए भी उतना ही वांछनीय है, केवल हमारे पास उस भारत को पहचान सकनेवाली दृष्टि की आवश्यकता है।
भारत को पहचान सकनेवाली दृष्टि की आवश्यकता यूरोपियन लोगों के लिए वांछनीय है भारत को पूर्ण रूप से जानने के लिए।

12. प्लेटो और काण्ट जैसे दार्शनिकों का भी अध्ययन करने वालों
को क्या मनन करने योग्य है और क्यों?

उत्तर- सम्पदा एवं प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण देश; मानव मस्तिष्क की उपलब्धियों का साक्षात्कार करनेवाला देश; जीवन की बड़ी समस्याओं का समाधान करनेवाला देश भारतवर्ष मनन करने योग्य है। यूरोपियन को भी इसकी जानकारी होनी चाहिए।

13. यूरोप में प्रचलित कहावतों और दंत कथाओं का प्रमुख स्त्रोत अब किसे माना जाने लगा है?

उत्तर– यूरोप की कहावतों और दंत कथाओं का प्रमुख स्रोत अब बौद्ध धर्म को माना जाने लगा है।

14.. मैक्समूलर की दृष्टि से मनन करने योग्य क्या है?

उत्तर– मैक्समूलर का विचार था कि भारतीय मनीषियों ने ज्ञान का सर्वप्रथम साक्षात्कार किया था। भारतीय धर्म साधन ने जीवन की सबसे बड़ी समस्याओं पर विचार कर उनके समाधान का रास्ता ढूँढ निकाला था। उनके अनुसार भारतीय धर्म-दर्शन मननीय है।

15. भारत में विदेशी क्या पायेंगे?

उत्तर– भारतवर्ष में विदेशी अपने आप को सर्वत्र अत्यन्त प्राचीन और सुदूर भविष्य के बीच खड़ा पाएंगे। यहाँ ऐसे सुअवसर मिलेंगे जो किसी पुरातन विश्व में ही सुलभ हो सकते हैं।

16. संस्कृत भाषा में क्या मिलेगी?

उत्तर- संस्कृत भाषा में चिन्तन की ऐसी गम्भीर धारा में अवगाहन का अवसर मिलेगा जो अभी तक अज्ञात थी। यहाँ मानव हृदय में गहनतम सहानुभूति और सदाशयता को जगानेवाले पाठ भी प्रचुर मात्रा में पढ़ने को मिल सकते हैं।

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