10th Hindi Subjective (Short) Question Chapter 1

10th Hindi Subjective (Short) Question Chapter 1

10th Hindi Subjective (Short) Question Chapter 1 Class (क्लास) 10 हिन्दी सब्जेक्टिव क्वेशन चैप्टर 1 कक्षा 10 हिन्दी सब्जेक्टिव अध्याय पहला  Matric (मैट्रिक) Subjective Hindi

1. भीमराव अंबेदकर किस विडम्बना की बात करते हैं?

उत्तर– भीमराव अंबेदकर का मानना है कि हमारे आधुनिक सभ्य समाज में भी जातिवाद के पोषकों की कमी नहीं है। इसके पोषक श्रम विभाजन का आधार जाति प्रथा को मानते हैं। उनका कहना है कि हमारे इस समाज में कार्य-कुशलता के लिए श्रम विभाजन आवश्यक है और जाति प्रथा भी श्रम विभाजन का दूसरा रूप है। इसलिए इसमें कोई बुराई नहीं है। यह इस आधुनिक सभ्य समाज के लिए विडम्बना की बात है।

2. सच्चे लोकतंत्र की स्थापना के लिए लेखक ने किन विशेषताओं को आवश्यक माना है?

उत्तर– भीमराव अंबेदकर ने ‘श्रम विभाजन और जातिप्रथा’ शीर्षक निबंध में लिखा है कि स्वतंत्रता, समता और भ्रातृत्व पर आधारित समाज ही सच्चा लोकतंत्र है। लोकतंत्र केवल शासन की एक पद्धति ही नहीं है, लोकतंत्र मूलतः सामूहिक जीवनचर्या की एक रीति तथा समाज के सम्मिलित अनुभवों के आदान-प्रदान का नाम है। लोकतंत्र में यह आवश्यक है कि समाज के बहुविध हितों में सबका भाग होना चाहिए तथा सबको उसकी रक्षा के प्रति सजग रहना चाहिए। अर्थात् एक दूसरे के प्रति श्रद्धा व सम्मान का भाव हो।

3. जातिप्रथा भारत में बेरोजगारी का एक प्रमुख और प्रत्यक्ष कारण कैसी बनी हुई है?

उत्तर- भीमराव अंबेदकर ने ‘श्रम विभाजन और जाति प्रथा’ में लिखा है कि जाति प्रथा पेशे का दोषपूर्ण पूर्वनिर्धारण ही नहीं करती बल्कि मनुष्य को जीवनभर के लिए एक पेशे में बाँध देती है। भले ही पेशा अनुपयुक्त या अपर्याप्त होने के कारण वह भूखों मर जाए। पेशा बदलने की भी तो आवश्यकता आ पड़ती है। पेशा परिवर्तन की अनुमति न देकर जाति प्रथा भारत में बेरोजगारी का एक प्रमुख व प्रत्यक्ष कारण बनी हुई है। यह दूषित प्रथा बन गयी है। यह
स्वतंत्रता, समता एवं भ्रातृत्व की विरोधिनी प्रथा है।

4. लेखक जातिवादियों के तर्क को आपत्तिजनक क्यों कहा है?

उत्तर– लेखक ने जातिवादियों के तर्क को आपत्तिजनक कहा है। जाति प्रथा में श्रम विभाजन के साथ-साथ श्रमिक-विभाजन भी है। लेखक की दृष्टि में यही आपत्तिजनक स्थिति है।

5. लेखक के अनुसार आदर्श समाज में किस प्रकार की गतिशीलता होनी चाहिए?

उत्तर– लेखक भीमराव अम्बेदकर के अनुसार किसी भी आदर्श समाज में इतनी गतिशीलता होनी चाहिए जिसमें कोई भी वांछित परिवर्तन समाज के एक छोर से दूसरे छोर तक संचारित हो सके। ऐसे समाज में बहुविध हितों में सबका भाग होना चाहिए तथा सबको उनकी रक्षा के प्रति सजग रहना चाहिए।

6. लेखक ने भारत की जाति प्रथा की किस विशेषता का उल्लेख किया है?

उत्तर– भारत की जाति प्रथा की एक और विशेषता यह है कि यह श्रमिकों के अस्वाभाविक विभाजन के साथ ही उनमें ऊँच-नीच का स्तर भी निर्मित करती है।

7. जाति प्रथा के दूषित सिद्धांत क्या है?

उत्तर- जाति प्रथा का दूषित सिद्धांत यह है कि इसमें मनुष्य के प्रशिक्षित अथवा उसकी निजी क्षमता का विचार किये बिना दूसरे ही दृष्टिकोण, जैसे-माता-पिता के सामाजिक स्तर के अनुसार पहले ही अर्थात् गर्भधारण के समय से ही मनुष्य का पेशा निर्धारित कर दिया जाता है।

8. जातिवाद के पोषक उसके पक्ष में क्या तर्क देते हैं?

उत्तर — भीमराव अंबेदकर ने ‘श्रम विभाजन और जाति प्रथा’ शीर्षक विचार प्रधान निबंध में भारत में व्याप्त जाति प्रथा की आलोचना की है। जातिवाद के पोषक ‘कार्य कुशलता’ के लिए श्रम विभाजन को आवश्यक मानते हैं परन्तु यह प्रथा श्रमिकों का ऊँच-नीच में विभाजन कर देती है यह निंदनीय है । यह प्रथा श्रमिकों को विभाजन कर देती है। यह अस्वाभाविक है।

9. लेखक की दृष्टि में इस युग में विडम्बना की बात क्या है?

उत्तर — लेखक की दृष्टि में विडम्बना की बात है कि इस आधुनिक युग जातिवाद के पोषकों की कमी नहीं है।

10. हिन्दूधर्म की जाति प्रथा क्या करती है?

उत्तर — हिन्दूधर्म की जाति प्रथा किसी भी व्यक्ति को ऐसा पेशा चुनने की अनुमति नहीं देती. जो उसका पैतृक पेशा न हो. भले ही वह उसमें पारंगत हो।

11. जाति भारतीय समाज में श्रम विभाजन का स्वाभाविक रूप क्यों नहीं कही जा सकती?

उत्तर- भीमराव अंबेदकर ने ‘श्रम विभाजन और जाति प्रथा’ शीर्षक निबंध में
भारत में व्याप्त जाति प्रथा की निंदा की है। जाति भारतीय समाज में श्रम विभाजन का स्वाभाविक रूप नहीं कही जा सकती है। यह मनुष्य की रुचि पर आधारित नहीं है। यह प्रथा पेशे की स्वतंत्रता का गला घोंट देती है। यह एक दूषित प्रथा हो गयी है। स्वतंत्रता, समता और भ्रातृत्व का यह प्रथा हनन करती है।

12. लोकतंत्र किसका नाम है?

उत्तर–– लोकतंत्र मूलतः सामूहिक जीवनचर्या की एक रीति तथा समाज के सम्मिलित अनुभवों के आदान-प्रदान का नाम है। इनमें यह आवश्यक है कि अपने साथियों के प्रति श्रद्धा व सम्मान का भाव हो ।

13. किस परिस्थिति में किसी मनुष्य को भूखों मरने की नौबत आ सकती है?

उत्तर– प्रतिकूल परिस्थितियों में भी यदि किसी मनुष्य को अपना पेशा बदलने
की छूट न हो तो ऐसी स्थिति में उसे भूखों मरने की नौबत आ सकती है।

14. लेखक आज के उद्योगों में गरीबी और उत्पीड़न से भी बड़ी समस्या किसे मानते हैं और क्यों?

उत्तर- भीमराव अंबेदकर ‘श्रम विभाजन और जाति प्रथा’ शीर्षक निबंध में आज के उद्योगों में गरीबी और उत्पीड़न इतनी बड़ी समस्या नहीं मानते, जितनी यह से लोग ‘निर्धारित’ कार्य को ‘अरुचि’ के साथ केवल विवशतावश करते हैं। ऐसी स्थिति स्वभावतः मनुष्य को दुर्भावना से ग्रस्त रहकर टालू काम करने और कम काम करने के लिए प्रेरित करती है। ऐसी स्थिति में जहाँ काम करनेवालों का न दिल लगता हो न दिमाग, कोई कुशलता कैसे प्राप्त की जा सकती है।

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